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सीयूपी व जीईआरए द्वारा आयोजित दो दिवसीय वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन एडुकोन -2020 सफलतापूर्वक संपन्न

बठिंडा : पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूपी) एवं ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन (जी.ई.आर.ए.) द्वारा आयोजित दो-दिवसीय वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन एडुकोन -2020 सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। अंतिम दिन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने 8 जनवरी को आयोजित इस अखण्ड सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।

 

31 घंटे तक चलने वाले इस मैराथन अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन का आयोजन सीयूपीबी के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी एवं ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन जी.ई.आर.ए. के संरक्षक पद्मश्री डॉ. महेंद्र शोधा के मार्गदर्शन में किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भूटान और भारत के प्रशंसित शिक्षाविदों और विद्वानों ने लगभग 31 घंटे तक बिना रुके समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग की संभावनाओं पर पर विचार चर्चा की।

इस दो-दिवसीय वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मलेन के अंतिम सत्र की शुरुआत डीन प्रभारी अकादमिक प्रो. आर.के. वुसिरिका के स्वागत भाषण के साथ हुई। सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए, सम्मेलन के संयोजक प्रो एस.के. बावा ने बताया कि इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान दुनिया भर के 124 विद्वानों ने भाग लिया और इस सम्मेलन के 10 उप-विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान आयोजित 31 घंटे लंबे संवाद सत्रों में से आयोजन टीम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी-2020) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशों को रेखांकित किया है जो इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

 

यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह श्री धीरेंद्र पाल सिंह ने अपने संबोधन में समाज के कल्याण हेतु शिक्षा प्रणाली में प्रभावी बदलाव लाने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोरोना महामारी की वर्तमान चुनौतीपूर्ण स्थिति ने शिक्षण संस्थानों को शिक्षण प्रक्रिया में आईसीटी का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जिससे छात्रों को आभासी मंच के माध्यम से अपने शिक्षकों के साथ जुड़े रहकर सीखने की प्रक्रिया को जारी रखने का अवसर प्राप्त हुआ। 

उन्होंने कहा कि सामाजिक हिंसा हमेशा वैश्विक शांति, आर्थिक विकास और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति के लिए खतरा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का मूल विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के लिए बहुत ही उपयुक्त और प्रासंगिक है क्योंकि नवाचार और मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली’ वैश्विक शांति को बहाल करने में और हमारे सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी उपकरण साबित होगी।

 उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, श्री नेल्सन मंडेला और अन्य प्रतिष्ठित नेताओं ने इस विचार को बढ़ावा दिया कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली साधन है जिसका उपयोग दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 हमें अपने महान नेताओं के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है क्योंकि यह पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एनईपी -2020 का उद्देश्य वैश्विक नागरिक का पोषण करना है जो आत्म-निर्भर भारत को बनाने एवं वैश्विक शांति बहाल करने में अपना योगदान देंगे और इसके प्रभावी कार्यान्वयन से भारत को एक बार फिर से ज्ञान का महाशक्ति के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।

 

प्रो. बी.के. त्रिपाठी ने इस दो-दिवसीय अखंड सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को भी बधाई दी और शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा प्रणाली बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। प्रो. एच. सी. एस. राठौर ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक शांति को बहाल करने के लिए दुनिया को केवल सतत विकास परियोजनाओं में निवेश करने का संकल्प लेना होगा।

 

समापन सत्र के दौरान, जी.ई.आर.ए. इंडिया के अध्यक्ष प्रो. एस.पी. मल्होत्रा ने प्रो. वसुधा कामत (पूर्व कुलपति, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई) को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया। उन्होंने युवा शिक्षाविदों, युवा शोधकर्ताओं और सर्वश्रेष्ठ शोध पात्र प्रस्तुतकर्ताओं को विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया।

 

कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सभी के लिए उपयोगी साबित हुआ है क्योंकि चर्चा के विषय एनईपी-2020 के विभिन्न प्रतिमानों और इसके प्रभावी कार्यान्वयन से संबंधित हैं। अपने संबोधन में उन्होंने साझा किया कि इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श के माध्यम से एनईपी-2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए रेखांकित की सिफारिशों को पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय निश्चित रूप से लागु करेगा।

 

इस अवसर पर कुलसचिव श्री कंवल पाल सिंह मुंदरा ने इस अखंड सम्मेलन के प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय और ईमानदार भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विशेषज्ञ वक्ताओं यथा डॉ. चाँद किरण सलूजा (भारत), डॉ. सामदू छेत्री (भूटान), डॉ. एस. पासी (भारत), प्रो. जे.एस. राजपूत (पूर्व निर्देशक, एनसीईआरटी), प्रो. वसुधा कामत (पूर्व कुलपति, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई), प्रो. यूजीन (कैलगरी विश्वविद्यालय, कनाडा), प्रो. सी.बी. शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, एनआईओएस भारत), प्रो. अभय जेरे (चीफ इनोवेशन अफसर, एआईसीटीई), प्रो. जे.एस. ढिल्लों (यूनिवर्सिटी ऑफ वोर्चेस्टर, यू.के.), प्रो. राधिका अयंगर (कोलंबिया विश्वविद्यालय, यू.एस.ए.), प्रो. रजनीश जैन (सचिव, यू.जी.सी.), प्रो. रघु एकेमपति (केटरिंग यूनिवर्सिटी, मिशिगन), प्रो. एम.ए. सिद्दीकी (पूर्व अध्यक्ष एन.सी.टी.ई.), प्रो. सरोज शर्मा (अध्यक्ष एन.आई.ओ.एस., नई दिल्ली) और सुश्री मानवी गांधी (एडिलेड विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया) को इस सम्मेलन में शैक्षिक भागीदारी के माध्यम से अपनी सार्थक भागीदारी देने के लिए आभार व्यक्त किया।