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केंद्र सरकार ने किया 23वें लॉ कमीशन का गठन, तीन साल का होगा कार्यकाल

नई दिल्ली: सरकार ने 23वें विधि आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। 31 अगस्‍त 2027 तक यानी तीन साल तक इसका कार्यकाल होगा। पैनल में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्य-सचिव सहित चार पूर्णकालिक सदस्य होंगे। विधि आयोग का नेतृत्व आमतौर पर एक सेवानिवृत्त SC या HC न्यायाधीश द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन इस बार केंद्र ने लॉ कमीशन की संरचना में बदलाव किया है। इसके अध्यक्ष वर्तमान सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट न्यायाधीश होंगे।

नोटिफिकेशन के अनुसार आयोग में पांच से ज्‍यादा अंशकालिक सदस्य नहीं हो सकते। आयोग के चेयरपर्सन और सदस्यों के तौर पर काम करने वाले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सेवारत जज सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में सेवानिवृत्ति की तिथि तक या आयोग का कार्यकाल समाप्त होने तक (जो पहले हो) पूर्णकालिक आधार पर कार्य करेंगे।

बता दें कि भारत में पहला विधि आयोग साल 1955 में तैयार किया गया था। तब से अब तक 22 लॉ कमीशन आयोग अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। 22वें लॉ पैनल का कार्यकाल 31 अगस्त को 2024 को समाप्‍त हुआ है। सरकार ने 22वें कमीशन का गठन 21 फरवरी 2020 को किया था। जस्टिस अवस्थी ने 9 नवंबर 2022 को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। उस समय इसका कार्यकाल भी तीन साल के लिए ही था। लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2023 में इसका कार्यकाल बढ़ा दिया था। अब 23वें विधि आयोग का कार्यकाल 1 सितंबर 2024 से लेकर 31 अगस्‍त 2027 तक रहेगा।

क्‍या होता है लॉ कमीशन का काम?
लॉ कमीशन का काम जटिल कानूनी मसलों पर सरकार को सलाह देना होता है। 22वें कमीशन ने सरकार को कई ऐसे सुझाव दिए जो देश में चर्चा का विषय भी रहे। इसमें वन नेशन-वन इलेक्शन और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। 22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष रहे रिटायर्ड जस्टिस ऋतुराज अवस्थी को भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था लोकपाल का सदस्य भी नियुक्त किया गया था।

The Central Government has constituted the 23rd Law Commission, the tenure will be of three years