नई दिल्ली: कनाडाई वीजा होने के बावजूद सैकड़ों पंजाबी लोगों को एयरपोर्ट से बिना किसी कारण के वापस भेजा जा रहा है। हाँ, जुलाई महीने के दौरान कनाडा सरकार ने 5,853 विदेशी नागरिकों को एयरपोर्ट से वापस भेजा, जिनमें विद्यार्थी, पर्यटक और वर्क परमिट धारक शामिल थे। कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान औसतन 3,727 विदेशी नागरिकों को हर महीने एयरपोर्ट से ही वापस भेजा गया।
एयरपोर्ट के साथ-साथ अमेरिका से आने वाले यात्रियों के दस्तावेजों की भी बारीकी से जांच की जा रही है। इमिग्रेशन वकीलों का कहना है कि नेताओं द्वारा बॉर्डर अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि विदेशों से आने वाले कई लोग हमारे देश को नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिसके मद्देनजर सही वीजा होने के बावजूद उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा, इमिग्रेशन विभाग द्वारा वीजिटर वीजा, स्टडी वीजा और वर्क परमिट जारी करने की गति भी कम कर दी गई है, और पहले की तुलना में बहुत कम वीजा जारी किए जा रहे हैं। यहां तक कि वीजिटर वीजा की अधिकांश अर्जियां सीधे तौर पर अस्वीकार की जा रही हैं, जबकि स्टडी वीजा की संख्या 2023 की तुलना में बहुत अधिक घटा दी गई है। इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि निष्पक्ष और बिना पूर्वाग्रह के काम किया जा रहा है।
कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रत्येक विदेशी नागरिक के यात्रा दस्तावेज़ की जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जाता है, और किसी को प्रवेश से रोकने के पीछे नीतियों में बदलाव जिम्मेदार हो सकता है, लेकिन प्रवक्ता ने इस बदलाव के बारे में विस्तार से बताने से इंकार कर दिया। कैलगरी विश्वविद्यालय में कानून के सहायक प्रोफेसर गीडियन क्रिश्चियन ने सवाल उठाया कि जब विदेशी लोगों को प्रवेश ही नहीं देना था, तो उन्हें वीजा क्यों दिए गए? जब लोग कनाडा के दरवाजे पर पहुंच जाते हैं, तो उन्हें किसी न किसी बहाने से वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया जाता है।
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