जालंधर (अमन बग्गा): हंसराज महिला महाविद्यालय, जालन्धर में कॉलेज प्राचार्या प्रो. डा. श्रीमती अजय सरीन जी के प्रोत्साहनात्मक मार्गदर्शन अधीन संस्था के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की ओर से सात दिवसीय वर्कशाप का आयोजन किया गया जिसका विषय -राजभाषा हिन्दी टंकण, अनुवाद और कंप्यूटरीकरण रहा । कार्यशाला के प्रथम दिवस उद्घाटन समारोह में मुख्यातिथि स्वरूप डाँ. पूर्ण चंद टंडन (निर्देशक, भारतीय अनुवाद परिषद्, नई दिल्ली) एवं डॉ. नवीन चंद कोठियाल (अध्यक्ष, राजभाषा समिति, एन.आई.टी., जालन्धर) उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता की भूमिका डॉ. नवीन चंद कोठियाल (अध्यक्ष, राजभाषा समिति, एन.आई.टी., जालन्धर) एवं डॉ. अवधेश चौधरी (पूर्व अध्यक्ष राजभाषा समिति, एन.आई.टी., जालन्धर) ने निभाई।
प्राचार्या प्रो. डॉ. श्रीमती अजय सरीन जी ने अपने वक्तव्य में सर्वप्रथम गणमान्य सदस्यों का हार्दिक अभिनन्दन किया एवं वर्कशाप कोआर्डिनेटर डॉ. ज्योति गोगिया, को-कोआर्डिनेटर श्रीमती पवन कुमारी एवं विभागीय सदस्य डॉ. दीप्ती धीर को इस आयोजन हेतु बधाई दी। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में हिन्दी के प्रचार व प्रसार में हमें अपना योगदान प्रदान करना होगा। हिन्दी एक सशक्त, उर्जावान एवं भावातमक भाषा है हमें अपनी भाषा के प्रति सम्मान एवं अपनत्व का भाव रख इसे अपने नित्यजीवन में ग्रहण कर इसके महत्व को प्रतिपादित करना होगा। इसी उपलक्ष्य में मुख्यातिथि डॉ. पूर्ण चंद टंडन (निर्देशक, भारतीय अनुवाद परिषद्, नई दिल्ली) ने संस्था से जुडऩे पर गौरव अनुभव किया एवं कहा कि हिन्दी एक गौरवशाली भाषा है जो भाव हम अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते है व अन्य किसी भाषा में नही, भाषा की पठनीयता का गुण धारण कर सदैव पठन, लिखन, श्रवन व वाचन अपनी भाषा में ही करें। उन्होंने कहा कि आज हिन्दी भाषा में सभी क्षेत्रों में प्रगति की है।
आज आप संकल्प करें कि आप भारतीय भाषाओं का सम्मान करेंगे। मन, वचन एवं कर्म से हिन्दी भाषा को विश्व भाषा मंच प्रदान करने में अपना अतुलनीय योगदान देंगे। डॉ. नवीन चंद कोठियाल ने अपने संभाषण में राजभाषा को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने हेतु विषय की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा एक सेतु का काम करती हे यह भावात्मक, विचारों के आदान प्रदान की भाषा है। उन्होंने छात्राओं को हिन्दी कंम्यूटर का ज्ञानार्जन करने को प्रेरित किया। अपने मुख्य संभाषण में उन्होंने डिजिटल युग में हिन्दी में कार्य करने में समस्याएं एवं उपलब्ध तकनीकी संसाधनों के उपयोग में समाधान विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए छात्राओं को हिन्दी की विभिन्न वेबसाईट, टाईपिंग, गूगल लिंक इत्यादि की विस्तृत जानकारी प्रदान की। डॉ. अवधेश चौधरी ने बताया कि एन.आई.टी. का राजभाषा हिन्दी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने राजभाषा संबंधित सवैधानिक प्रावधानों एवं विभन्न अनुच्छेदों की विस्तृत जानकारी दी तथा राजभाषा नियमों की भी चर्चा की एवं हिन्दी की उन्नति के लिए इसे व्यवहार में लाने हेतु प्रेरित किया। इसी शृंखला में वर्कशाप के द्वितीय दिवस मुख्य वक्ता डॉ. सतीश अवस्थी (समन्वयक राजभाषा समिति, एनआईटी, जालंधर) ने हिन्दी अनुवाद की आनलाइन विधियों पर चर्चा की। श्रीमती अनघा जोगलेकर (अनुवादक, गुडग़ांव) ने शब्दों की शुद्धता एवं अनुवाद विषय पर ज्ञान प्रदान किया।
श्रीमती अंतरा करवड़े (अनुवादक व साहित्यकार, मध्यप्रदेश) ने भी अनुवाद की महत्ता, नियमों व गुणों की चर्चा की, अनुवाद की वेबसाइट की भी जानकारी दी। वर्कशाप के तृतीय दिवस डॉ. सोनिया (सहायक प्रोफेसर, एसपीएन कालेज मुकेरियां) एवं डॉ. समीर (सहायक प्रोफेसर, एसपीएन कालेज, मुकेरियां) ने तकनीकी हिन्दी का विस्तृत ज्ञान दिया। हिन्दी के बढ़ रहे वर्चस्व पर चर्चा की। इस अवसर पर डॉ. कुलविन्दर कौर (विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, हिन्दू कन्या कालेज, कपूरथला) उपस्थित रहीं। जिन्होंने राजभाषा हिन्दी की विस्तृत चर्चा की एवं हिन्दी के कम्प्यूटरीकरण विषय पर भी छात्राओं को लाभान्वित किया। वर्कशाप में मध्यस्थ की भूमिका डॉ. ज्योति गोगिया (विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग) ने निभाई। वर्कशाप में हिन्दी विभाग के सहायक प्रोफेसर श्रीमती पवन कुमारी, डॉ. दीप्ति धीर एवं अन्य विभागीय सदस्य भी उपस्थित रहे।