हरियाणा में फतेहाबाद के टोहाना में रहने वाले एक शख्स रवि कुमार अब रवि नास्तिक के नाम से जाने जाएंगे. रवि को इसके लिए तहसील कार्यालय से बाकायदा ‘नो कास्ट, नो रिलीजन, नो गॉड’ सर्टिफिकेट मिला है. देश में यह अपने किस्म का पहला मामला बताया जा रहा है. इस तरह का पहला सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए रवि को दो साल तक कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ा है.
जानकारी के मुताबिक साल 2017 में रवि ने अपना नाम सही करवाने के लिए फतेहाबाद कोर्ट में दीवानी केस किया था. इस साल जनवरी में रवि को नाम के साथ नास्तिक लिखने की अनुमति मिली थी. इसके बाद अब उपायुक्त के आदेश पर तहसील कार्यालय ने रवि नास्तिक को ‘नो कास्ट, नो रिलीजन और नो गॉड’ सर्टिफिकेट दिया है.
रवि के पिता का नाम इंद्रलाल है. वह फर्नीचर का काम करते हैं. रवि के मुताबिक वह नहीं चाहते कि उनकी पहचान वर्ग विशेष से हो. इसीलिए उन्होंने यह प्रमाण पत्र बनवाया है. वहीं फतेहाबाद के डिप्टी कमिश्नर धीरेंद्र खड़गटा का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इस तरहा का मामला नहीं देखा. रवि ने अपने नाम के साथ नास्तिक लिखने संबंधी आवेदन किया था. सेल्फ डिक्लेयरेशन के आधार पर उसे यह प्रमाण पत्र जारी किया है.
रवि के वकील अमित कुमार सैनी के मुताबिक ‘नो कास्ट, नो रिलिजन, नो गॉड’ सर्टिफिकेट के लिए तहसील कार्यालय ने असमर्थता जताई थी. जिसके बाद डिप्टी कमिश्नर के पास आवेदन किया गया. रवि के सभी दस्तावेज जांचे गए. इस प्रमाण पत्र का कोई दुरुपयोग तो नहीं करना चाहता. जब डीसी सभी चीजों से संतुष्ट हो गए, तो उनके आदेश पर उप तहसीलदार ने 29 अप्रैल को सर्टिफिकेट जारी किया.