पटियाला: पटियाला में 16 साल पुराने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता रुलदा सिंह हत्याकांड में आज कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जगतार सिंह और रमनदीप सिंह गोल्डी को बरी कर दिया है। वहीं, आरोपी जगतार सिंह तारा को सुनवाई के बाद एक दूसरे केस में दोबारा चंडीगढ़ जेल भेज दिया गया है। जगतार सिंह तारा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में भी दोषी ठहराया गया है। इस मामले में पहले ही पांच अन्य आरोपियों को बरी किया जा चुका है।
16 साल पुराना है मामला
यह मामला करीब 16 साल पहले का है। 28 जुलाई 2009 की शाम को जब आरएसएस के वरिष्ठ नेता रुलदा सिंह अपनी गाड़ी से अनाज मंडी, सरहिंद रोड स्थित अपने घर पहुंचे, तो घर के ठीक सामने तीन अज्ञात युवकों ने उन्हें गोलियां मार दी थीं। गंभीर रूप से घायल रुलदा सिंह को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन करीब दो हफ्ते बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। उस समय पुलिस ने इस मामले में चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, लेकिन 2015 में सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था। रुलदा सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एनआरआई विंग के प्रधान भी थे।
पहले पांच आरोपी हो चुके हैं बरी
पटियाला पुलिस ने इस हत्याकांड में कुल 18 लोगों को नामजद किया था, जिनमें तीन ब्रिटिश नागरिक भी शामिल थे। 2015 में पटियाला की स्थानीय अदालत ने दर्शन सिंह मकरोपुर, जगमोहन सिंह, दल सिंह, गुरजंत सिंह और अमरजीत सिंह को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया था। जबकि जगतार सिंह तारा और टाइगर्स फोर्स से जुड़े एक अन्य कथित आरोपी रमनदीप सिंह गोल्डी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था, जिनका नाम बाद में इस केस में जोड़ा गया था। आज अदालत ने इन दोनों को भी बरी कर दिया है।
ब्रिटिश आरोपियों का प्रत्यर्पण हुआ था खारिज
इस मामले में पुलिस ने तीन ब्रिटिश सिख नागरिकों को भी आरोपी बनाया था, जिनके नाम प्यारा सिंह गिल, अमृतवीर सिंह घाटीवाला और गुरशरणवीर सिंह घाटीवाला हैं। इन तीनों को 2020 में वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस ने भारतीय प्रत्यर्पण वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में अपर्याप्त सबूतों के कारण भारत की उन्हें प्रत्यर्पित करने की अपील को ब्रिटिश अदालत ने खारिज कर दिया था।
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