चंडीगढ़: पंजाब में धान की खरीद को लेकर गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई है। हालांकि, राज्य सरकार ने मंडियों में काम करने वाले मजदूरों को बड़ी राहत देते हुए लेबर चार्ज में प्रति क्विंटल एक रुपये की वृद्धि की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रदेश में शुरू हुई धान की खरीद को लेकर बुलाई बैठक में यह फैसला लिया। यह फैसला मंडी मजदूरों की लंबे समय से चली आ रही मांग के अनुरूप है।
हालांकि, धान की खरीद शुरू होने के पहले ही दिन प्रदेश में धान का एक भी दाना नहीं उठाया गया। इसका मुख्य कारण आढ़तियों और राइस मिलरों की मांगें हैं। आढ़ती सरकार से पूर्व निर्धारित 2.5 प्रतिशत कमीशन देने पर सहमति देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, शेलर मालिकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने अभी तक केंद्रीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदाम खाली नहीं किए हैं, जिसके कारण उनके पास चावल रखने की जगह नहीं है।
आढ़तियों और मिलरों की हड़ताल के कारण किसान भी परेशान हैं। किसानों ने अपनी फसल मंडियों में पहुंचाई है, लेकिन खरीद नहीं हो पा रही है।
पंजाब सरकार ने इस सीजन में 185 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खरीफ मंडीकरण सीजन 2024-25 के लिए 41,378 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने इस सीजन के लिए ‘ए’ ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2320 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस गतिरोध से किसानों को काफी नुकसान हो सकता है। उन्होंने सरकार से आढ़तियों और मिलरों के साथ बातचीत करके इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालने का आग्रह किया है।
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