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महंगा पड़ा किसान आंदोलन, पंजाब-हरियाणा को हुआ करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान

जींद: हरियाणा और पंजाब की सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर और जींद जिले से सटे खनौरी बॉर्डर आखिरकार 13 महीने के लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को यातायात के लिए खोल दिए गए।

दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही गुरुवार देर शाम सात बजे शुरू हो गई। इन 13 महीनों के दौरान पंजाब और हरियाणा को सीधे तौर पर सवा लाख करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।

अकेले हरियाणा के तीनों बॉर्डर (शंभू, खनौरी व कुंडली) से सटे इलाकों को ही 1,600 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, जबकि पंजाब के कारोबार को सबसे ज्यादा, लगभग एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है।

गुरुवार को हरियाणा और पंजाब का प्रशासन व पुलिस पूरे दिन शंभू बॉर्डर पर किसानों के स्थायी मोर्चों को हटाने और राष्ट्रीय राजमार्ग को साफ करने में जुटे रहे। हरियाणा पुलिस ने अपनी सीमा में बनाए गए सीमेंट के भारी बैरिकेड्स को तोड़ने का काम गुरुवार सुबह शुरू किया और दोपहर दो बजे तक पंजाब व हरियाणा पुलिस ने मिलकर रास्ते को पूरी तरह से साफ कर दिया।

शंभू बॉर्डर पर सबसे पहले शाम 4:36 बजे राजपुरा-अंबाला लेन पर और फिर देर शाम सात बजे अंबाला-राजपुरा लेन पर वाहनों का आवागमन शुरू हुआ।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की सात सदस्यीय टीम ने घग्गर नदी पर बने पुल का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद यह निर्णय लिया गया कि मरम्मत कार्य पूरा होने तक केवल हल्के वाहनों को ही पुल से गुजरने की अनुमति दी जाएगी।

वहीं दूसरी ओर, हरियाणा में किसान नेताओं को हिरासत में लिए जाने के विरोध में चार जिलों में प्रदर्शन हुए। किसानों ने इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपे।

Punjab and Haryana suffered financial losses worth crores of rupees