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HMV कॉलेजिएट स्कूल में ‘आशावादी विचारों के माध्यम से जीवन को संतुष्ट करना’ विषय पर शृंखलाबद्ध व्याख्यान का आयोजन

जालंधर (अमन बग्गा): एचएमवी कॉलेजिएट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के दिशा-निर्देश के तहत कॉलेज प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के प्रोत्साहानात्मक एवं कुशल निर्देशन में एवं श्रीमती मीनाक्षी स्याल (स्कूल कोआर्डिनेटर) के योगात्मक नेतृत्व अधीन ‘आशावादी विचारों के माध्यम से जीवन को संतुष्टि प्रदान करना’ विषय पर शृंखलाबद्ध व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य मानव को निराशावादी जीवन से बाहर निकाल कर उनमें आशावादी विचारों का संचरण कर जीवन जीने की कला के विषय में ज्ञान प्रदान करना एवं जीवन का आनंद लेना रहा।

 

 

व्याख्यान का शुभारंभ सर्वमंगल कामना हेतु ज्ञान का प्रतीक गायत्री मंत्र का गायन एवं प्रकाश की ज्योति प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात् प्राचार्या प्रो. डॉ अजय सरीन ने इस अवसर पर आमन्त्रित मुख्य स्रोत वक्ता श्रीमती सुसैन आनंद (एडवोकेट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, पूर्व विभागाध्यक्षा राजनीति शास्त्र, एच.एम.वी. जालंधर) का सह्रदय स्वागत किया एवं श्रीमती मीनाक्षी स्याल और उनकी टीम के इस प्रशंसात्मक कार्य की प्रशंसा करते हुए इस संस्था के निर्माण के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे पूर्वज महात्मा हंसराज जी ने इस संस्था का निर्माण बेटियों की शिक्षा के लिए किया एवं उनका कहना था कि यदि समाज को सही दिशा की ओर अग्रसर करना है तो हमें बेटियों को शिक्षित कर उन्हें सशक्त बनाना और समाज में उचित स्थान प्रदान कर देश को विकसित करना है। डीएवी कॉलेज प्रबन्धक समिति नई दिल्ली के प्रधान पद्मश्री डॉ पूनम सूरी जी नारी सशक्तिकरण के उद्देश्य को सफल बनाने में निरंतर कार्यरत हैं। अंत में उन्होंने छात्राओं को संदेश दिया कि वे स्वयं को शिक्षित कर पूरे समाज एवं देश के लिए उच्च पथप्रदर्शक बन सकती हैं।

प्रथम दिवस मुख्य स्रोत वक्ता श्रीमती सुज़न आनंद ने ‘लैंगिक समानता और लैंगिक भेदभाव की रोकथाम’ विषय पर अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि ‘लिंग असमानता’ को समाप्त करने हेतु कुछ सुझाव जरूरी हैं जैसे – महिलाओं को पुरुषों के स्तर तक पहुंचाना, आर्थिक एवं सामाजिक निर्णयों में जटिलताओं की भागीदारी, प्राचीन मूल्यों एवं रूढिय़ों का त्याग करना, मीडिया की सकारात्मक भूमिका जैसे – महिलाओं की बाहरी रूप रेखा को छोडक़र उसकी बहादुरी एवं अन्य गुणों को उजागर करना एवं इन सुझावों को अपनाकर असमानता के भेदभाव को कम किया जा सकता है। माता-पिता, स्कूल, कॉलेज एवं युवा वर्ग इसको क्रियात्मक रूप प्रदान कर सकते हैं क्योंकि कानूनों के अधीन स्त्री को पहले ही स्वतंत्रता एवं समानता का अधिकार प्राप्त है।

 

 

अंत में कोआर्डीनेटर श्रीमती मीनाक्षी स्याल ने विशेषज्ञ द्वारा प्रदान की गई ज्ञानवर्धक जानकारी की तहेदिल से प्रशंसा करते हुए धन्यवाद ज्ञापन ज्ञापित किया एवं उन्होंने छात्राओं को इस व्याख्यान के माध्यम से लाभान्वित होते हुए उन्हें अपने परिवार एवं मित्रों को भी संस्था की इस मुहिम का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया। अंत में उन्होंने प्राचार्या जी के उत्तम नेतृत्व अधीन आयोजित इस शृंखलात्मक वेबिनार हेतु प्राचार्या जी का धन्यवाद किया एवं समस्त प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। वेबिनार के मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए मंच संचालन श्रीमती जसप्रीत कौर द्वारा सफलतापूर्वक किया गया।