ब्रुसेल्स: यूक्रेन में रूसी सेना के घुसने से महायुद्ध का खतरा मंडराना शुरू हो गया है। अब नाटो ने आधिकारिक बयान जारी कर कह दिया है कि आक्रमण से अपने संगठन को सुरक्षित रखने के लिए उसे जो भी जरूरी होगा, वह करेगा। नाटो के महासचिव जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने रूस को फौरन यूक्रेन से निकल जाने की चेतावनी देते हुए कहा है कि उसके 100 से ज्यादा जेट और जहाज को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने यूक्रेन में रूस के हमले की सख्त शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि ‘लोकतंत्र हमेशा ही निरंकुशता पर भारी पड़ेगा।’
रूस और यूक्रेन के बीच संकट को लेकर जो आशंका थी, वह आखिरकार सही साबित होती जा रही है। अब नाटो ने रूस के सैन्य अभियान के ऐलान के बाद उसके खिलाफ सख्त लफ्जों में चेतावनी जारी कर दी है। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है, ‘नाटो कड़े से कड़े शब्दों में यूक्रेन में रूस के आक्रमण की निंदा करता है। हम रूस से अपनी सैन्य कार्रवाई को तुरंत रोकने और यूक्रेन से पीछे हटने का आह्वान करते हैं।’ उन्होंने रूस से चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि ‘लोकतंत्र हमेशा निरंकुशता पर भारी पड़ेगा। आजादी हमेशा जुल्म के खिलाफ प्रभावी होगी।’
लेकिन, इसके बाद उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे की आहट लग रहा है। नाटो महासचिव ने कहा है कि ‘हमारे पास अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने के लिए 100 से अधिक जेट हाई अलर्ट पर हैं और उत्तर से भूमध्य सागर तक 120 से ज्यादा संबद्ध जहाज तैनात हैं। गठबंधन को आक्रामकता से बचाने के लिए जो भी आवश्यक होगा हम वो करेंगे। आगे का रास्ता तय करने के लिए कल नाटो के नेता मिलेंगे।’
क्या है NATO?
इसका फुल फॉर्म है North Atlantic Treaty Organization। 1949 में इसका गठन अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी देशों ने मिलकर किया था। इस वक़्त NATO में कुल 30 देश हैं। NATO का गठन अमेरिका, कनाडा, 27 यूरोपीय देश और एक यूरेशियाई देश ने मिलकर सोवियत संघ के खिलाफ मज़बूत मोर्चा तैयार करने की नीयत से किया था।
बाल्कन देश Bosnia and Herzegovina, यूरेशियाई देश जॉर्जिया और यूक्रेन को NATO के सम्भावित सदस्यों के तौर पर देखा जा रहा है। इसके साथ ही बीस और देश भी NATO के Partnership for Peace प्रोग्राम में शामिल होते हैं। इसका मुख्यालय बेल्ज़ियम के ब्रसेल्स शहर में है।