नई दिल्ली: लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए इसरो वो तमाम कोशिश कर रहा है जो वह कर सकता है लेकिन वह इस काम में सफलता हासिल नहीं कर सका। इसरो ने मंगलवार को एक ट्वीट के जरिए देशवासियों के प्रति आभार जताकर लैंडर से संपर्क न होने की अंतिम सूचना दे दी है। इसके बावजूद भारतीयों को उम्मीद थी कि नासा उन्हें लैंडर विक्रम की एक और तस्वीर खींचकर भेजेगा लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि वह उसके ऑर्बिटर में लगे कैमरे की पहुंच से बाहर है।
नासा का लूनर रिकॉस्सेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) जो पिछले 10 सालों से चांद के चक्कर काट रहा है। वह मंलगवार को उस साउट से गुजरा जहां लैंडर तिरछा पड़ा हुआ है। नासा के ग्रह विज्ञान विभाग के सार्वजनिक मामलों के अधिकारी ए हंदल ने कहा, ‘लूनर रिकॉस्सेंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओसी) ने लक्षित लैंडिंग साइट के आसपास की तस्वीरें खींची हैं लेकिन लैंडर के सही स्थान का का पता नहीं चल पाया है। हो सकता है कि लैंडर का स्थान कैमरे के क्षेत्र से बाहर हो।’
एलआरओ की टीम 17 सितंबर को ली गई तस्वीर की तुलना पहले की तस्वीर से करेगी। जिससे पता लगाया जा सकेगा कि लैंडर दिखाई दे रहा है या नहीं। चंद्रयान-2 इसरो का दूसरा चंद्र मिशन था। सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करते हुए वैज्ञानिकों का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। लैंडर के अंदर प्रज्ञान रोवर को भेजा गया था जिसे कि सतह पर उतरकर वहां के वातावरण, भूकंप, खनिज पदार्थों आदि के बारे में जानकारी इकट्ठा करनी थी।