Jalandhar RTA lashes hundreds of crores
Jalandhar RTA lashes hundreds of crores
जालंधर -मोदी सरकार दुारा डिजीटल इंडिया तहत नए जारी किए गये वाहन-4 सॉफ्टवेयर ने रीजनल ट्रासपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का भंडाफोड़ किया है। इस सॉफ्टवेयर ने रोड टैक्स के नाम पर ही अब तक एक करोड़ 4 लाख 38 लाख रुपये की टैक्स चोरी का मामला पकड़ा है। विभाग टैक्स चोरी के मामले में अब तक 70 लाख रुपये रोड टैक्स एवं 30 लाख रुपये पेनाल्टी व रोड टैक्स पर व्याज वाहन मालिकों से वसूल चुका है। इससे पहले आरटीए में सिर्फ रोड टैक्स ही नहीं बल्कि गाड़ी ट्रांसफर व चालान के नाम पर बड़े पैमाने पर धांधली चल रही थी। वाहन ट्रांसफर व चालान के मामले का भी अगर ऑडिट हुआ तो करोड़ों रुपये का विभाग को चूना लगाने का मामला सामने आ सकता है। आरटीए में 23 मई से शुरू हुए वाहन-4 सॉफ्टवेयर में व्यवस्था है कि जब तक किसी भी प्रकार के वाहन का रोड टैक्स बकाया होगा, तब तक आगे का रोड टैक्स जमा नहीं होगा। नए सॉफ्टवेयर शुरू होने के बाद रोड टैक्स की फाइलें जैसे ही आरटीए में राज्य के फाइनेंस डिपार्टमेंट से नियुक्त किए गए सेक्शन अफसर के पास पहुंचनी शुरू हुईं तो रोड टैक्स के मामलों में भारी हेराफेरी पकड़ में आई।
नियमानुसार जब तक किसी भी वाहन का रोड टैक्स पूरी तरह जमा नहीं है तब तक किसी भी वाहन की पासिंग नहीं हो सकती है, लेकिन मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर रोड टैक्स की चोरी करने वालों के वाहन भी धड़ल्ले से पास करते रहे। नए सॉफ्टवेयर के बाद एमवीआइ दफ्तर में चल रहा ये गोरखधंधा भी सामने आ गया है। पहले 53 दिनों के भीतर ही आरटीए की ऑडिट ब्रांच में लगभग साढ़े पांच लाख रुपये पेनाल्टी व सवा तीन लाख रुपये ब्याज की वसूली की गई है। सूत्रों का कहना है कि ऑडिट के रिकार्ड में जो चीजें सामने आ रही हैं कि उसमें टैक्स के रूप में बड़ी संख्या में रसीदें मात्र-100 रुपये की राशि की कटी हुई हैं। संभावना है कि वाहन ऑपरेटरों से रोड टैक्स के रूप में राशि वसूलकर उसे सरकारी रिकार्ड में जमा करने के बजाय खुद ही हजम कर ली जाती थी। विभाग के रिकार्ड में रोड टैक्स के रूप में जमा होने वाली राशि का रिकार्ड में रसीद संख्या दर्ज होती थी, रसीद संख्या रिकार्ड में दर्ज करने के लिए 100 रुपये की राशि जमा की जाती थी, बाकी राशि हजम हो जाती थी। सूत्र बताते हैं कि वाहनों की ट्रांसफर फीस में ही बड़ा घपला सामने आ रहा है, हालांकि वाहन-4 के बाद ये हेराफेरी रुकी है, लेकिन इससे पहले विभाग को करोड़ों का चूना लगाया जा चुका है। चार पहिला वाहन की ट्रांसफर फीस 3700 रुपये जमा होती है, जिसमें 700 रुपये स्मार्ट चिप कंपनी के खाते में जाती थी, शेष राशि ट्रांसपोर्ट विभाग के हिस्से में आती थी। पहले मुलाजिम स्मार्ट चिप कंपनी के खाते में 700 रुपये की राशि जमा कराकर उसी रसीद नंबर को ट्रासपोर्ट विभाग के रिकार्ड में दर्ज कर उसके हिस्से की 3000 रुपये की राशि खुद हजम कर जाते थे।