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कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच बढ़ा टकराव, किसानों ने दी बड़ी चेतावनी, ऐसे मनवाएंगे मांगें


नई दिल्ली: किसानों और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ रहा है। जबकि केंद्र अड़ियल रवैया अपना रहा है, किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार द्वारा कानून वापस नहीं लिया गया तो वे दिल्ली में अपना आंदोलन तेज करेंगे। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर दो दिनों के भीतर किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे सार्वजनिक और निजी परिवहन बंद कर देंगे। किसानों को अब दिल्ली की बस, ट्रक, ऑटो और टैक्सी यूनियनों का समर्थन मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि, हम जहां हैं, वहीं खड़े रहेंगे। पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी ने किसानों के मन की बात सुनी। हम अपने मन की बात मोदी से कहने आए हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चंदूनी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अब तक किसानों के खिलाफ 30-31 मामले दर्ज किए हैं। सरकार ने कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानून बनाए हैं।

 

गुरनाम सिंह ने कहा, कॉर्पोरेट ब्लैकमेलिंग हर नागरिक को प्रभावित करेगी। किसानों और देश का शोषण हो रहा है। कोरोना में कॉर्पोरेट आय भी बढ़ रही है। लड़ाई कॉर्पोरेट और जनता के बीच है। उन्होंने देश के नागरिकों से इस आर्थिक संघर्ष में किसानों का समर्थन करने की अपील की। शिव कुमार कक्का ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक लड़ाई है। हम लंबी लड़ाई के लिए आए हैं।

 

 

इस बीच, खाप पंचायतों ने दिल्ली की सीमा तक पहुंचने की घोषणा की है। किसानों के साथ उनका तहे दिल से स्वागत है। किसानों के अनुसार, अगर कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तो वे सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर की बैठक का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने एक शर्त रखी कि किसानों को बराड़ी मैदान में आने और जाने से रोका नहीं जाना चाहिए, अन्यथा केंद्र के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। बेशक यहां हम कोरोना के साथ मर जाएंगे, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे।