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Apple को तगड़ा झटका: सरकार ने बैन किया आईफोन, औंधे मुंह गिर पड़े एप्पल के शेयर, बताई ये वजह

नई दिल्ली: आईफोन इस्तेमाल के मामले में चीन ने एपल को तगड़ा झटका दिया है। चीन ने केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों के लिए एपल आईफोन के इस्तेमाल को बैन कर दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं सरकारी अधिकारियों को अन्य विदेशी ब्रांड वाले डिवाइसेस का उपयोग काम के लिए नहीं करने या उन्हें कार्यालय में नहीं लाने का आदेश दिया गया है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए बताया कि चीन ने केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों को काम के लिए एपल आईफोन और अन्य विदेशी ब्रांड वाले उपकरणों का उपयोग नहीं करने और उन्हें ऑफिस में नहीं लाने का आदेश दिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा कि हाल के सप्ताहों में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने कर्मचारियों को यह आदेश दिए गए थे। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह आदेश कितने व्यापक रूप से वितरित किए जा रहे थे।

इसका असर ये हुआ कि बुधवार को एप्पल के शेयर औंधे मुंह गिर पड़े। ब्लूमबर्ग में छपी खबर के मुताबिक, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मामले की जानकारी रखने वालों के हवाले से एक रिपोर्ट छापी कि – चीन में कुछ केंद्र सरकार के रेगुलेटर्स को चैट ग्रुप या मीटिंग में ये निर्देश मिला कि वो एप्पल या दूसरे विदेशी ब्रैंड्स के गैजेट्स को ऑफिस लाना बंद करें। हालांकि ये आदेश कितने बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा, ये साफ नहीं हुआ है।

इस खबर का एप्पल का शेयरों पर हुआ, बुधवार को एप्पल का शेयर न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में 3.6% टूटकर $182.91 पर आ गया। जो कि 4 अगस्त के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पहले एप्पल इस साल अबतक 46% तक चुढ़ चुका है।

दरअसल, एप्पल के प्रोडक्ट चीन में बहुत पॉपुलर हैं। चीन के टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को नियंत्रित करने की अमेरिका की कोशिशों से बढ़ती नाराजगी के बावजूद, एप्पल को अपने सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय बाजार चीन में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल है। एप्पल के आईफोन चीन में बेस्टसेलर हैं और सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है।

हालांकि, चीन की सरकार को अमेरिकी प्रोडक्ट्स के बढ़ते इस्तेमाल से परेशानी रही है, जिस तरह से दूसरे देशों की संवेदनशील एजेंसियां विदेशी उपकरणों के इस्तेमाल को हतोत्साहित करती हैं, बीजिंग ने भी अपने जियो-पॉलिटिकल शत्रु अमेरिका से अपनी टेक्नोलॉजी की निर्भरता को कम करने के लिए बीते कुछ वर्षों में एक अभियान चलाया है।

 

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