मशहूर पंजाबी गायक दलेर मेहंदी आज बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की मौजूदगी में शामिल हुए। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सूफी पंजाबी गायक हंसराज हंस तथा अभिनेता सनी देओल भी बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी ने हंसराज हंस को उत्तरी पश्चिमी दिल्ली व सनी देओल को पंजाब के गुरदासपुर से टिकट दिया है। अब दलेर मेंहदी भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। माना जा रहा है कि दलेर मेहंदी को भी पंजाब की किसी सीट से बीजेपी मैदान में उतार सकती है। लेकिन ये बात कम लोग ही जानते हैं कि वो सुरों के बादशाह दलेह मेहंदी के समधी भी हैं। इन दोनों सिंगर्स के बीच ये रिश्ता कैसे बना इसके पीछे दिलचस्प कहानी है।
बता दें हंसराज हंस के बेटे नवराज हंस और दलेर मेहंदी की बेटी अवजीत कौर ने साल 2017 में शादी की थी। बीते दिनों हंसराज हंस और दलेर मेहंदी ने समधी बनने का दिलचस्प वाकया कपिल शर्मा के कॉमेडी शो पर सुनाया, दलेर मेहंदी ने बताया था, “मैं हंसराज हंस जी का बहुत बड़ा फैन रहा हूं। इनके शो देखने के लिए बहुत धक्के खाए हैं. हम रिश्तेदार बन गए, इसके पीछे हंसराज हंस जी की मेहरबानी है कि मैंने इनके आगे दरख्वास्त डाली और उन्होंने सुन ली. ” दलेर मेहंदी ने कहा, “मेरी बेटी अवजीत कौर मेहंदी ने कहा, मेरा ब्याह करा दो, इस पर मैंने कहा- किससे करना है. वो बोली, जहां आप चाहो. मैंने फिर उस्ताद हंसजी के पास अर्जी लगाई. उन्होंने मेरी बात सुनी और अपने बेटे संग मेरी बेटी के रिश्ते को पक्का किया, बस ऐसे हम समधी बन गए।”
एक बार सिंगर हंसराज हंस और दलेर मेहंदी जी दोनों शो कर रहे थे, हमारे बड़े भाई दलेर मेहंदी पाजी ने हंस जी को शो के खत्म होने पर कहा, आप सीनियर का शुक्रिया, शो के बाद हंसजी के पास आग लगाने पहुंच गया सिंगर जसबीर जस्सी. उसने हंसराज जी से कहा, दलेर जी ने आपको सीनियर बोलकर बूढ़ा बोल दिया है। उसने ऐसी आग लगाई कि हंसजी ने गुस्से में दलेर पाजी को फोन पर जमकर खरी-खोटी सुनाई।
इसके बाद दलेर भाई और हंसराज जी के बीच जमकर लड़ाई हुई. मीका ने कहा, दोनों की लड़ाई की वजह जानने के लिए मैंने हंसजी को फोन मिलाया, मैंने फोन करते ही एक सवाल किया, क्या जस्सी आया था आपके पास? हंस जी बोले- हां. बस ये सुनते मैं सब समझ गया, हम सबके बीच कोई आग लगाने वाला है तो वो ये है जसबीर जस्सी। मीका सिंह ने कहा, इस लड़ाई के बाद दोनों हंसराज हंस और दलेर मेहंदी जी साथ बैठे. बात को समझा और आखिर में वो रिश्ता इतना मजबूत बन गया कि ये रिश्तेदार हो गए।