नई दिल्ली: सुरक्षा बलों के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और असम राइफल्स के लगभग 42,000 जवानों ने 2020 से 2024 के बीच 100 दिनों की छुट्टी का लाभ उठाया है। हालाँकि, सुरक्षा बलों पर अतिरिक्त दबाव और जवानों की अपेक्षित संख्या की कमी के कारण इस प्रस्ताव को पूरी तरह से लागू करना अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।
एक अधिकारी के अनुसार, 100 दिनों की छुट्टी की योजना जवानों के तनाव को कम करने और उन्हें अपने परिवारों के साथ अधिक समय बिताने में मदद करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। लेकिन इसे लागू करना कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है छुट्टी की मांग का समय। सीमा पर तैनाती, ऑपरेशन संबंधी आवश्यकताएं और चुनाव ड्यूटी जैसे कारणों को ध्यान में रखते हुए छुट्टियों का प्रबंधन किया जाता है।
विभिन्न बलों में 100 दिनों की छुट्टी के वितरण में भिन्नता देखी गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में समीक्षा अवधि के दौरान कुल 2,245 कर्मियों ने इस योजना का लाभ उठाया, लेकिन 2020 में 570 कर्मियों की तुलना में 2024 में यह संख्या घटकर मात्र 71 रह गई, जो एक उल्लेखनीय गिरावट दर्शाता है। वहीं, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सबसे अधिक 3,978 कर्मियों ने 100 दिनों की छुट्टी का लाभ उठाया, हालाँकि यहाँ भी 2024 तक यह संख्या 3,295 तक गिर गई। इसके विपरीत, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में पिछले चार वर्षों में कम से कम 1,472 कर्मियों ने इस छुट्टी का लाभ उठाया है, और यहाँ 2020 में 211 छुट्टी लेने वाले जवानों की संख्या में वृद्धि देखी गई, जो 2023 में 391 तक पहुँच गई। यह आँकड़े विभिन्न बलों में छुट्टी की उपलब्धता और जवानों द्वारा इसके उपयोग में अंतर को दर्शाते हैं। कुल मिलाकर, 42,797 सीएपीएफ और असम राइफल्स कर्मियों ने 2020 और 2024 के बीच 100 दिनों की छुट्टी ली।
यह मामला गृह मामलों की संसदीय समिति द्वारा भी उठाया जा चुका है। समिति ने कहा है कि वर्तमान में फील्ड में तैनात कर्मियों को 75 दिनों की छुट्टी दी जाती है, जिसे बढ़ाकर 100 दिन करने का प्रस्ताव है। समिति का मानना है कि मंत्रालय को जवानों के हित में इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू करने में तेजी लानी चाहिए। इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि 100 दिनों की छुट्टी की योजना जवानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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