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20 साल बाद हुआ बाप-बेटा का मिलाप, पिता को ढूंढने के लिए जापान से पंजाब पहुंचा बेटा

अमृतसर: अमृतसर जिले में एक व्यक्ति 20 साल बाद अपने बेटे से मिला है। 20 साल पहले अमृतसर निवासी सुखपाल सिंह अपने एक साल के बेटे को जापान में रह रही उसकी माँ के पास छोड़कर आ गए थे। कॉलेज में मिले एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में भारत आये बेटे ने अपने पिता को ढूंढने के लिए अमृतसर शहर में उनके फोटो दिखाकर गली-गली घूमता रहा। जापान से आते समय उसने अपनी माँ से अपने पिता के कुछ पुराने फोटो और पता लिया था। माँ द्वारा दिया गया पता 20 साल पुराना होने के कारण वहां सुखपाल नहीं मिले, इसलिए वह पुराने फोटो दिखाकर पता ढूंढ रहा था।

ओसाका यूनिवर्सिटी के कला विभाग के छात्र रिन तख्त 18 अगस्त को अमृतसर पहुँचे और पुराना पता लेकर शहर में घूमते रहे। आखिरकार, जब उन्हें पता चला कि उनके पिता लोकरहा रोड पर रहते हैं, तो वह दौड़े चले गए। मैं रक्षाबंधन के मौके पर गाँव गया हुआ था। मेरे भाई ने फ़ोन करके बताया कि जापान से बेटा आया है। खबर सुनते ही मैं दौड़ा चला आया। मेरे आने तक बेटा मेरे भाई के घर पर आराम कर रहा था, सुखपाल सिंह ने बताया।

इससे पहले पिता और पुत्र ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को खोजने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अपने पिता से मिलने के बाद, रिन ने कहा कि उन्हें कॉलेज में फैमिली ट्री बनाने का प्रोजेक्ट मिला था। उस दिन मेरी माँ ने मुझे मेरे परिवार के बारे में सब कुछ बताया। मुझे सिर्फ़ इतना पता था कि मेरे पिता का नाम सुखपाल सिंह है। इसलिए मुझे उन्हें खोजने की उत्सुकता हुई।

सुखपाल जब थाईलैंड में थे, तब उनकी मुलाकात साची नाम की महिला से हुई और दोनों में प्यार हो गया। 2002 में साची और सुखपाल सिंह ने जापान में शादी कर ली। वे टोक्यो के पास चिबा केन में रहते थे। 2003 में रिन के जन्म के बाद दोनों के रिश्ते में दरार आ गई और 2004 में सुखपाल अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़कर भारत लौट आये। इस दौरान साची भी भारत आई थीं। कुछ दिनों बाद दोनों फिर जापान चले गए। लेकिन उनके बीच अनबन बनी रही। आखिरकार 2007 में अलग होने का फ़ैसला करते हुए सुखपाल सबको छोड़कर भारत आ गए और अमृतसर में बस गए। बाद में उन्होंने यहाँ गुरविंदरजीत से शादी कर ली, जिनसे उन्हें एक बेटी अलविया हुई।

रिन के आने के बाद साची से फ़ोन पर बात करते हुए सुखपाल सिंह ने कहा कि बेटा हमारे साथ सुरक्षित है। बेटा अब बड़ा हो गया है और यह तय करने में सक्षम है कि उसे कहाँ रहना है। अगले ही दिन रक्षाबंधन होने के कारण अलविया ने अपने जापानी भाई को राखी बाँधी।

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