चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस के एक बर्खास्त अधिकारी द्वारा पेंशन लाभ की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि सेवा से बर्खास्तगी पंजाब सिविल सेवा नियम के तहत पेंशन अधिकारों को समाप्त कर देती है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पेंशन केवल उन कर्मचारियों के लिए है जो सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि बर्खास्त कर्मचारी असाधारण परिस्थितियों में केवल अनुकंपा भत्ते के लिए अनुरोध कर सकता है।
न्यायमूर्ति ने यह फैसला मलूक सिंह नामक एक बर्खास्त पुलिस अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। मलूक सिंह, जो सेना में सेवा देने के बाद अक्टूबर 1975 में पंजाब पुलिस में शामिल हुए थे, को अनुशासनात्मक कार्यवाही के बाद 29 मई 1999 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। उनकी अपील और दया याचिका को भी पहले ही खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन न्यायालय ने 16 मई 2003 को उनके मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, उनकी 21 साल की लंबी सेवा को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने उन्हें पेंशन लाभ के लिए अधिकारियों से संपर्क करने की अनुमति दी थी, लेकिन अधिकारियों ने उनके दावे को खारिज कर दिया था।
इसके बाद, मलूक सिंह ने पेंशन लाभ प्राप्त करने के लिए दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका विचाराधीन रहने के दौरान ही मलूक सिंह का निधन हो गया, और उनके कानूनी प्रतिनिधियों ने मामले को आगे बढ़ाते हुए तर्क दिया कि 21 साल से अधिक सेवा वाले कर्मचारी को केवल बर्खास्तगी के आधार पर पेंशन से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
हालांकि, हाईकोर्ट ने उनके तर्कों को अस्वीकार कर दिया। अदालत ने माना कि मलूक सिंह की बर्खास्तगी को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है क्योंकि पिछली कानूनी कार्यवाही में भी खंडपीठ ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया था। इसलिए, अदालत के समक्ष मुख्य प्रश्न यह था कि क्या एक बर्खास्त कर्मचारी पेंशन लाभ का दावा कर सकता है।
मामले की सुनवाई करते हुए, अदालत ने पंजाब सिविल सेवा नियम के नियम 2.5 का गहराई से अध्ययन किया, जिसमें बर्खास्त कर्मचारियों के लिए पेंशन पर स्पष्ट रूप से रोक लगाई गई है। अदालत ने यह भी नोट किया कि नियम के अनुसार, एक बर्खास्त कर्मचारी केवल अनुकंपा भत्ते के लिए अनुरोध कर सकता है, और यह भत्ता भी केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है।
न्यायालय ने याचिका दायर करने में हुई सात साल की देरी पर भी ध्यान आकर्षित किया। अधिकारियों ने मलूक सिंह के पेंशन दावे को 2004 में ही खारिज कर दिया था, लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका 2011 में दायर की। इन सभी तथ्यों और कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने बर्खास्त पुलिस अधिकारी की पेंशन लाभ की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत का यह फैसला स्पष्ट रूप से स्थापित करता है कि बर्खास्त कर्मचारियों को पंजाब सिविल सेवा नियमों के तहत पेंशन का अधिकार नहीं है।
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Dismissed employee cannot demand pension