जालंधर (अमन बग्गा): सेंट सोल्जर ग्रुप ऑफ़ इंस्टीच्यूशन्स की ओर से महिला समानता दिवस पर चर्चा की गई। इस दौरान भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा की गई। जिसमें सेंट सोल्जर ग्रुप से जुड़ी लगभग 20 महिला फैक्लटी मैंबरज ने भाग लिया ओर अपने विचार रखे।
इस दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए वाईस चेयरपर्सन श्रीमती संगीता चोपड़ा ने कहा कि महिलाओं की बड़ी-बड़ी उपलब्धियों के बाद भी देखें तो आज भी महिलाओं की कामयाबी आधी-अधूरी समानता के कारण कम ही है। हर साल 26 अगस्त को ‘महिला समानता दिवस’ तो मनाया जाता है, लेकिन दूसरी ओर महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार आज भी जारी है। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिशत कम है। इस लिए हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदार को बढ़ाने की जरूरत है।
सेंट सोल्जर कॉलेज (को-एड) की डायरेक्टर श्रीमती वीणा दादा ने कहा कि साक्षरता दर में महिलाएं आज भी पुरुषों से पीछे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि ज़रूर हुई है, लेकिन केरल में जहाँ महिला साक्षरता दर 92 प्रतिशत है, वहीं बिहार में महिला साक्षरता दर अभी भी 53.3 प्रतिशत है। आज भी हमारे समाज की मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है। इस लिए इस ओर और ध्यान देने की जरूरत है।
सेंट सोल्जर कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन की प्रिंसिपल डॉ. अलका गुप्ता ने भारत ने महिलाओं को आज़ादी के बाद से ही मतदान का अधिकार पुरुषों के बराबर दिया, पंचायत राज में भी 50 प्रतिशत ओर सांसद ओर राज्यसंभाओं में 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी निश्चित की गई है। परन्तु यदि वास्तविक समानता की बात करें तो भारत में आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति गौर करने के लायक है।
सेंट सोल्जर नर्सिंग ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट की प्रिंसिपल श्रीमती नीरज सेठी का कहना है कि आज के अधुनिक समय में भी महिलाओं पर घर के बाहर जाने पर प्रतिबंध लगाऐ जाते है। जब तक औरतों के प्रति दृष्टिकोण नहीं बदला जाता तब तक महिलाओं का उत्थान नहीं हो सकता।
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