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ढिलवां की पहचान है DIPS: एसपी अजपाल सिंह

जालंधर (अमन बग्गा): डिप्स ढिलवां के पूर्व विद्यार्थी तथा आज के डिस्ट्रिक कमांडैंट, पंजाब होमगार्ड (रोपड़) अजयपाल सिंह का कहना है ढिलवां की पहचान है डिप्स। जिसने न केवल अपने छात्रों को अर्तराष्ट्रिय स्तर की शिक्षा प्रदान की है बल्कि गांव की मिट्टी से हीरे तराशते हुए उन्हें वह मुकाम प्रदान करवाने के हौसले दिए किए है जिनके वह ख्वाब देखा करते थे। सन 1995 में हर विद्यार्थी का सपना था डिप्स संस्थान। डिप्स की विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं, वहां के अध्यापक तथा हर क्षेत्र में पारंगत करने की कला आज भी स्मरण है।

 

 

 

जीवन जांच सिखाने वाले अध्यापक रहते है सदा याद
अजयपाल का मानना है कि अच्छे अध्यापक सदा याद रहते है। क्योंकि अध्यापक ही छात्र के जीवन को नया मोड़ देकर कामयाबी की ओर अग्रसर करता है। यह कहना गलत न होगा कि डिप्स के अध्यापकों में वह क्षमता है। अजयपाल ने अपने अध्यापकों का जिक्र किया जैसे अगे्रकाी की अध्यापिका व आज की सी.इ.ओ मोनिका मंडोत्रा, पंजाबी के प्रो. बलविंदर सर, नीरज सर मैथ्स के, राजेनद्र कुमार इक्नोमिक्स के, जिन्हें वे आज भी याद है। जो अस अध्यापक के साथ- साथ उनके मार्ग दर्शा भी रहे।

 

 

कठिन प्रवेश परीक्षा के बाद मिला था दाखिला
अजयपाल ने बताया कि उस समय डिप्स में एडमिशन लेने से पहले एंटरैंस टैस्ट भी देना पड़ता था। जिससे वह बहुत घबराते थे। उन्हें आज भी याद है कि नीलम मैम ने दाखिले के समय उनसे कई प्रकार से सवाल पूछे और आठ का टेबल लिखवाया तथा सुना। परीक्षा पास करने पर उन्हें लगा जैसे कोई जंग जीत ली हो। अजय ने कहा कि डिप्स में केवल मैं ही नहीं बल्कि मेरी बहन तथा परिवार के अन्य बच्चे भी शिक्षा हासिल कर चुके है।

 

 

बचपन से ही शौक था सिवल सर्विसिस का
अजय पाल ने बताया कि उन्हें शुरू से ही सिवल सर्विसिस में जाने का शौक था जिसके चलते वह उदेश्य को प्राप्त करने की राह पर डटे रहे। सन 2011 में पंजाब सरकार में वैटनरी आफिसर कार्यरत रहे तथा अपनी अनथक मेहनत व लगन के सदके 2013 में पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन के तहत पुलिस सेवाओं में योगदान देने लगे। अंत में अजय पाल ने डिप्स संस्था को सराहते हुए कहा कि अगर हर शैक्षिक संस्थान गांव में , देहात में इसी तरह की बढिय़ा शिक्षा उपलब्ध करवाएं तो हर घर शिक्षा का प्रसार होगा और देश कामयाबी की ओर अग्रसर होगा।

 

 

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