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सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब (CUPB) में दो दिवसीय वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन एडुकोन -2020 का आयोजन, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने किया शुभारंभ

 

7 जनवरी, बठिंडा( अमन बग्गा ) केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज बठिंडा में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUPB) द्वारा आयोजित दो-दिवसीय आभासी अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन ‘एडुकोन-2020’ का शुभारंभ किया।

यह दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूपीबी) के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी एवं ग्लोबल एजुकेशन रिसर्च एसोसिएशन (जी.ई.आर.ए.) के संरक्षक पद्मश्री डॉ. महेंद्र शोधा के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है।

 

इस सम्मेलन का विषय ‘एनविजनिंग एजुकेशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग यूथ टू रिस्टोर ग्लोबल पीस’ (वैश्विक शांति बहाली हेतु युवाओं में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा परिकल्पना) है। इस दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इंग्लैंड, कनाडा, थाईलैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भूटान एवं भारत के शिक्षाविद, विद्वान, नीति निर्माता और शोधार्थी एडुकोन-2020 के उप-विषयों पर लगातार 31 घंटे मंथन करेंगे।

यह भारत में अपनी तरह की पहला सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जिसमें लगातार 31 घंटे बिना रुके विश्व भर के शिक्षाविद, विद्वान एवं शोधार्थी समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग की संभावनाओं पर निरंतर संवाद करेंगे।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रमिक कार्यान्वयन के लिए अपने छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी-2020) सभी प्रकार से क्रांतिकारी है, क्योंकि यह प्राथमिक स्तर पर मातृ-भाषा को बढ़ावा देने और माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने जैसे कई पहलुओं पर केंद्रित है।

 

उन्होंने आगे कहा कि एनईपी-2020 ज्ञानार्जन अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंतरविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है, जिसका उद्देश्य मूल्य-आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक सोच का विकास करना और साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। उन्होंने आगे कहा कि यह नीति शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना सरीखे नवीन सुधारों पर जोर देती है, जो भारतीय विद्वानों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में लाभदायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन का मूल मंत्र है समाज में परिवर्तन लाने और युवाओं के जीवन को रूपांतरित करने के लिए उत्कृष्ट निष्पादन, सुधार और रूपांतरण करना।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक विषय चुनने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी को बधाई दीm,। उन्होंने कहा कि यह दो-दिवसीय अखंड सम्मेलन दुनिया भर में शोधकर्ताओं और छात्रों को संदेश देगी कि अनुसंधान दृढ़ता और धैर्य के साथ संचालित 24X7 अभ्यास है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भावी शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए आवश्यक विभिन्न तकनीकों से परिचित करवाएगा।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित वक्ताओं और युवा शोधकर्ताओं द्वारा एडुकोन-2020 के दौरान किए गए विचार-विमर्श निश्चित रूप से एनईपी-2020 की सभी प्रमुख अनिवार्यताओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने तथा युवाओं को सक्षम बनाने हेतु आवश्यक कौशल विकसित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्व उच्च शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, यह अंतर्राष्ट्रीय अखंड सम्मेलन शोधार्थियों और शिक्षाविदों को छात्र-केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, जो हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्य प्रणाली में निहित है, की सिफारिशों को लागू करने से संबंधित रणनीतियों पर अपने विचार साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

 

उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन वैश्विक दृष्टिकोण से एनईपी-2020 के विभिन्न प्रतिमानों पर केंद्रित होगा, जिसका उद्देश्य वैश्विक दक्षताओं के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने हेतु विश्व मानकों के अनुरूप ‘हमारे राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली’ में आवश्यक परिवर्तन लाते हुए माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और माननीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के भारत को विश्व की ज्ञान राजधानी के रूप में पुनः स्थापित करने के स्वप्न को साकार करने करना है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से जुड़े शोधकर्ता और शिक्षाविद् सभी वास्तविकताओं की कल्पना करते हुए एनईपी-2020 की सभी अनिवार्यताओं के जमीनी स्तर पर सफल कार्यान्वयन के लिए विचार विमर्श करेंगे।

जी.ई.आर.ए. इंडिया के अध्यक्ष प्रो. एस.के. मल्होत्रा और सम्मेलन संयोजक प्रो.एस.के. बावा ने बताया कि इस दो-दिवसीय सम्मेलन के दौरान विभिन्न व्याख्यान एवं तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और शोधकर्ता सम्मेलन के विषयों और उप-विषयों पर अपने विचार साझा करेंगे और शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे।

इस अवसर पर कुलसचिव श्री कंवल पाल सिंह मुंदरा ने अखंड सम्मेलन के आयोजन के लिए अपना बहुमूल्य समय, मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विशेषज्ञ वक्ताओं यथा डॉ. चाँद किरण सलूजा (भारत), डॉ. सामदू छेत्री (भूटान), डॉ. एस. पासी (भारत), प्रो. जे.एस. राजपूत (पूर्व निर्देशक, एनसीईआरटी), प्रो. वसुधा कामत (पूर्व कुलपति, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई), प्रो. यूजीन (कैलगरी विश्वविद्यालय, कनाडा), प्रो. सी.बी. शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, एनआईओएस भारत), प्रो. अभय जेरे (चीफ इनोवेशन अफसर, एआईसीटीई), प्रो. जे.एस. ढिल्लों (यूनिवर्सिटी ऑफ वोर्चेस्टर, यू.के.), प्रो. राधिका अयंगर (कोलंबिया विश्वविद्यालय, यू.एस.ए.), प्रो. रजनीश जैन (सचिव, यू.जी.सी.), प्रो. रघु एकेमपति (केटरिंग यूनिवर्सिटी, मिशिगन), प्रो. एम.ए. सिद्दीकी (पूर्व अध्यक्ष एन.सी.टी.ई.), प्रो. सरोज शर्मा (अध्यक्ष एन.आई.ओ.एस., नई दिल्ली) और सुश्री मानवी गांधी (एडिलेड विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया) को इस सम्मेलन में शैक्षिक भागीदारी के माध्यम से अपनी सार्थक भागीदारी देने के लिए उनका धन्यवाद किया।