पत्रकार दीपक चौरसिया चित्रा त्रिपाठी अजित अंजुम समेत 8 पत्रकारों के खिलाफ कोर्ट से सम्मन जारी. Pocso एक्ट के मामलें में हो सकती गिरफ्तारी. पढ़ें कैसे करती है दलाल मीडिया हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़
गुरुग्राम ( अमन बग्गा ) दलाल मीडिया द्वारा साजिश के तहत हिन्दू सन्तो को बदनाम कर हिन्दुओ की आस्था से खिलवाड़ करना कोई नई बात नही, लेकिन अफसोस इस बात का है कि ऐसे दलालों की बातों में आकर हिन्दू समाज ही अपनेहिन्दू सन्तो के खिलाफ जहर उगलने लग जाता है।
मामला 2013 का गुरुग्राम का है यहां Video को तोड़मरोड़ कर नाबालिग का MMS बनाकर झूठी खबर दिखा कर हिन्दू संत श्री आशाराम बापू जी, नाबालिग बच्ची व उन के परिवार को बदनाम करने के मामले में पोक्सो एक्ट के अधीन 8 पत्रकारों के खिलाफ अदालत द्वारा सम्मन जारी हुए है। गौरतलब है कि इन सभी के खिलाफ 2015 में गुरुग्राम पालम पुर थाने में एफआईआर नम्बर 147/2015 पोक्सो एक्ट ( Protection of Children from Sexual Offences Act.2012) के अंतर्गत धारा 469 471 180 120B भारतीय दंड सहिता के तहत 67 B आईटी एक्ट 13 पोक्सो एक्ट के अधीन दर्ज की गई थी।
इन पत्रकारों को भेजे गए सम्मन , अदालत में पेश होने के आर्डर जारी
दीपक चौरसिया न्यूज़ नेशन चैनल एडिटर, चित्रा त्रिपाठी सीनियर एंकर आज तक चैनल , अजित अंजुम स्वंत्रत पत्रकार (youtub, पहले न्यूज़ 24 में एडिटर), राशिद, इंडिया न्यूज सीनियर एंकर , सैयद सोहेल, रिपब्लिक भारत चैनल, अभिनव राज प्रोड्यूसर , ललित सिंह सीनियर रिपोर्टर, राजस्थान जोधपुर, सुनील दत्त, राजस्थान चैनल के खिलाफ एक मामले में पुलिस द्वारा पेश आरोप पत्र को संज्ञान लेकर पॉक्सो कोर्ट ने ये सम्मान जारी किया। सुनवाई की आगामी तारीख 25 जनवरी 2022 है। इस डेट को सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश होना है। वही इस पूरे मामले में इन पत्रकारों को जेल भी जाना पड़ सकता है।
पढ़ें क्या है पूरा मामला- संत आशाराम जी बापू को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश
पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को संत श्री आसाराम बापू जी आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी।
संत आसाराम जी बापू पर को बदनाम करने के लिए कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो को तोड़मरोड़ कर पेश किया, वीडियो एडिट कर ऐसे दिखाई गई कि संत आसाराम बापू बच्ची लड़की से अश्लील हरकत कर रहे है। वीडियो में यह दिखाने की कोशिश की गई कि बच्ची के परिवार के घर अश्लीलता का अड्डा है । जो कि बाद में पुलिस जांच में साबित हुआ कि टीवी चैंनलों पर दिखाई गई वीडियो फर्जी व फेक है।
मामले को लेकर परिजनों का आरोप है कि उनकी और पूरे परिवार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया। इससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ा।
इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी। लेकिन इस मामले में पीड़िता पक्ष को हिन्दू संगठनों का साथ मिला जिसके कारण वर्तमान में पीड़िता पक्ष को अंततः न्याय के मंदिर (Pocso न्यायालय) द्वारा न्याय मिलने की उम्मीद नजर आने लगी है।
पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटे जन- जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार व अन्य हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस केस में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी, क्योंकि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से दो बार केस को बंद कर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी थी। बाद में जब इस मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाया गया तो उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कोर्ट की निगरानी के चलते पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा।
वही हिन्दू संगठनों का कहना है कि जिन संत श्री आशाराम जी बापू ने सनातन धर्म को बचाने व आगे बढ़ाने के लिए समस्त जीवन समाज के लिए लगा दिये, वैसे संत श्री को बदनाम करने के लिए जिन पत्रकार द्वारा सुपारी ली गई थी,उन सभी पत्रकार को उसके किये का दंड मिलना ही चाहिए जो कानूनी रूप से शुरू हो चुकी है।