कैनबरा: कनाडा के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी विदेश में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले भारतीय छात्रों को बड़ा झटका दिया है। ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि वह 2025 में अपने यहां आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को 2.7 लाख तक सीमित कर देगा। यह फैसला ऑस्ट्रेलिया में रिकॉर्ड स्तर पर हो रहे आप्रवासन को रोकने के लिए किया गया है, जिसके चलते घरों के किराए में भारी वृद्धि हुई है।
ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा कि इस सीमा में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया सरकार के इस कदम से विदेश जाने की उम्मीद रखने वाले छात्रों को बड़ा असर पड़ने वाला है।
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा कि वर्तमान में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में कोरोना महामारी से पहले की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं। वहीं, निजी व्यायवसायिक और प्रशिक्षण संस्थानों में यह संख्या 50 प्रतिशत अधिक है। हालिया सर्वेक्षणों में ऑस्ट्रेलिया में मतदाताओं ने आप्रवसान को लेकर चिंता जताई है, जो एक साल से भी कम समय में होने वाले चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय शिक्षा ने 2022-23 में अर्थव्यवस्था में 36.4 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का योगदान दिया था।
ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारत सबसे बड़े स्रोतों में रहा है। हालांकि, 2024 में ऑस्ट्रेलियाई संस्थानों में दाखिला लेने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है, जो बढ़ती लागत, आवास चुनौती और अन्य देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसे कारकों से प्रेरित है। छात्र नामांकन पर लगाई गई नई सीमा इसे और बढ़ा सकती है, जिससे ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के इच्छुक भारतीय छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है।
Australia gives a big blow to Indian students, their dream of studying abroad will be shattered; new instructions issued