अमेठी: कांग्रेस का गढ़ माने जा रहे अमेठी सीट से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने 55 हजार 120 मतों के अंतर से पराजित किया थ। वहीं हार के बाद राहुल ने स्मृति ईरानी को मुबारक बाद देते हुए अपनी हार स्वीकार भी कर ली। परन्तु अमेठी की जनता राहुल के सीट हारने का कारण बताया है।
उत्तर प्रदेश की इस प्रतिष्ठित लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत के पीछे अमेठी की जनता का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उन्हें वह आत्मीयता नहीं मिल सकी, जो उनके दिवंगत पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलती थी।
कांग्रेस का गढ़ माने जा रहे अमेठी सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष को 55 हजार 120 मतों के अंतर से पराजित किया. इस चुनाव में स्मृति को चार लाख 67 हजार 598 मत मिले जबकि कांग्रेस अध्यक्ष को चार लाख 12 हजार 867 मत प्राप्त हुए।
कांग्रेस अध्यक्ष यहां से पहली बार 2004 में चुन कर संसद पहुंचे थे। अमेठी के लोगों का कहना है कि राजीव गांधी के समय शुरू की गयी कई परियोजनाएं और कार्यक्रम राहुल के सांसद रहते एक एक करके बंद होते गए. इससे हजारों लोगों की रोजी-रोजगार पर असर पड़ा। इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने रोजगार के लिए अमेठी से पलायन किया। लोगों का कहना है कि इस बार और तो और गांधी परिवार से बरसों से पूरी निष्ठा से जुड़े बुजुर्गों का भी मन टूटा दिखता है। उन्हें मलाल है कि गांधी परिवार की वर्तमान पीढी से उन्हें वह प्यार और इज्जत नहीं मिली, जो इसे पहले की पीढियों से मिला करती थी।
अवकाश प्राप्त शिक्षक सुनील सिंह ने कहा, ‘राजीव गांधी जीवन रेखा एक्सप्रेस साल में एक बार महीने भर के लिए अमेठी आती थी। इस ट्रेन पर डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम होती थी, जो उपचार के साथ साथ सर्जरी भी करती थी। इस सेवा से लाखों लोगों को फायदा होता था, लेकिन यह सेवा राहुल के सांसद रहते बंद हो गयी और इस महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवा को बहाल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।’ सिंह की बात से सहमति जताते हुए किराना व्यापारी शशांक साहू ने बताया, ‘राजीव गांधी ने सम्राट बाइसिकिल्स नामक कंपनी स्थापित करने में मदद की थी। उनके बाद फैक्ट्री घाटे में चली गयी और उसे बंद कर दिया गया। उसके बाद कंपनी की जमीन नीलामी पर लग गयी क्योंकि कंपनी पर कर्ज था. इस जमीन को राजीव गांधी चैरिटेबिल ट्रस्ट ने खरीद लिया।’
उन्होंने कहा, ‘ट्रस्ट में राहुल गांधी ट्रस्टी हैं और किसानों को जमीन लौटाने की मांग को लेकर स्मृति ईरानी ने पांच साल तक लड़ाई लड़ी। स्मृति के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय लोगों से किसानों की जमीन वापस लौटाने का वायदा किया है।’ इसके बाद आंगनबाडी सेविका उषा तिवारी ने बताया, ‘राजीव गांधी सचल स्वास्थ्य सेवा के तहत नौ गाडियां गांव-गांव जाकर गरीबों का इलाज करती थीं और मुफ्त में दवा बांटती थीं लेकिन यह सेवा भी राहुल के सांसद रहते ही बंद हो गयी। जनता की भारी मांग के बावजूद इसे दोबारा शुरू कराने का प्रयास नहीं किया गया।’
बुजुर्ग शमशुद्दीन ने बताया, ‘राजीव गांधी गांव-गांव, घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति से व्यक्तिगत तौर पर मिलते थे और इससे उनका अमेठी की जनता के साथ आत्मीय संबंध कायम हो गया था। राहुल ने अमेठी के दौरे तो बहुत किये लेकिन कहीं न कहीं लोगों के साथ वह सीधा संवाद नहीं स्थापित कर पाये, जो राजीव गांधी के साथ होता था।’ उन्होंने कहा, ‘राजीव गांधी के समय के पुराने और निष्ठावान कांग्रेसी धीरे धीरे पार्टी से दूर होते चले गये जबकि सच्चाई यह है कि ये लोग ही पार्टी के चुनाव अभियान की पूरी कमान संभालते थे। अगर ये लोग साथ होते तो शायद नतीजे राहुल के पक्ष में नजर आते।’