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जालंधर में कल 21 अगस्त को भारत बंद का असर दिखेगा या नहीं, बाजार खुलेंगे या रहेंगे बंद, क्या सड़कों पर उतरेगा दलित समाज? पढ़ें पूरी ख़बर…

जालंधर: 21 अगस्त को भारत बंद की कॉल को लेकर यहां एक तरफ जालंधर की विभिन्न संस्थाओं ने एक बैठक आयोजित करके बंद का समर्थन नहीं करने का ऐलान किया हैं वही दूसरी और बसपा नेताओं ने जालंधर में भारत बंद का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है।

हालांकि बंद का समर्थन न करने वाली संस्थाओं ने जालंधर के व्यापारियों और दुकानदारों से अपील की है कि वे अपने कारोबार और दुकानें खोलें, यह बैठक बीजेपी नेता विपिन सभरवाल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक के दौरान दलित नेता गोरा गिल ने कहा कि यह बंद की कॉल शरारती तत्वों द्वारा दी गई है, जिनका उद्देश्य रविदास और वाल्मीकि भाईचारे के बीच मतभेद पैदा करना है।

गिल ने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ! क्योंकि दोनों समाजों के बीच एक गहरा और पुराना रिश्ता है और वे कभी एक दूसरे के खिलाफ नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा, यह सिर्फ शरारती तत्वों की शरारत है। यदि कोई व्यक्ति कल बंद करवाने की कोशिश करता है, तो उन्हें संपर्क किया जाए और बंद करवाने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति पर डाली जाएगी।

वही दूसरी और BSP नेता बलविंदर कुमार, बसपा के शहरी अध्यक्ष सलविंदर कुमार, सीनियर नेता जगदीश दिशा ने एलान किया है कि दलित संगठनों की तरफ से बूटा मंडी समेत शहर के कुछ स्थानों पर शांतिमय ढंग से धरना विरोध प्रदर्शन करके भारत बंद का समर्थन किया जाएगा। जिस के बाद असमंजस की स्थिति बरकरार हैं, 21 अगस्त की सुबह ही स्थिति साफ हो सकेगी कि जालंधर में बंद का असर किस हद तक दिखाई दे रहा हैं।

ये है भारत बंद की वजह

इस राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) के आरक्षण पर फैसला सुनाने के विरोध में किया गया है जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति (SCs) और अनुसूचित जनजाति (STs) के भीतर ही सब-कैटेगिरी बनाने की इजाजत दी गई थी और इनमें उन लोगों को प्राथमिकता दी जानी है जिन्हें आरक्षण की वाकई जरूरत है। अब इस प्रदर्शन का मकसद इस फैसले का विरोध जताना है ताकि इसे वापस लिया जा सके।

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के अलावा कई दूसरे संगठनों ने भी इस बंद का समर्थन किया है।

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