नई दिल्ली: आने वाले समय में चावल की कीमत में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। खरीफ सत्र के दौरान कम पैदावार के अनुमान और गैर-बासमती चावल के निर्यात में 11 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी का रुख आगे भी जारी रह सकता है। खाद्य मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई।
निर्यात नीति में किया बदलाव
मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी में भारत की चावल निर्यात नीति में हाल में किए गए संशोधनों के पीछे के विस्तृत कारणों के बारे में बताया गया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत के चावल निर्यात नियमों में हालिया बदलावों ने निर्यात के लिए उपलब्धता को कम किए बिना ‘घरेलू कीमतों को काबू में रखने में मदद की है।’
टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया
सितंबर की शुरुआत में सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था। खाद्य मंत्रालय ने तथ्य पत्रक में कहा, ‘चावल की घरेलू कीमतों में वृद्धि का रुझान दिख रहा है और धान के लगभग 60 लाख टन कम उत्पादन के पूर्वानुमान तथा गैर-बासमती चावल के निर्यात में 11 प्रतिशत की वृद्धि के कारण इसमें बढ़ोतरी जारी रह सकती है।’
Shock for the common man the price of rice will increase further; The reason given by the government