जालंधर: कोविड उपचार में लापरवाही और ज्यादा पैसा वसूलने वाले शमशेर अस्पताल के खिलाफ शिकंजा कसते हुए जिला प्रशासन ने दोषी पाये जाने वाले अस्पतालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
डीसी घनश्याम थोरी ने 18 मई को ओवरचार्जिग के आरोप सिद्ध होने पर अस्पताल में कोविड की लेवल-2 सुविधा (नए मरीज़ों के दाख़िले) को स्थगित कर दिया गया था। एक मृतक मरीज़ के पारिवारिक सदस्यों ने शिकायत की थी कि मरीज़ को बीमार होने पर इलाज के लिए शमशेर अस्पताल लाया गया, जहाँ उसे बिना आरटी-पीसीआर टेस्ट के लेवल-2 कोविड केयर वार्ड में दाख़िल कर लिया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि अस्पताल की तरफ से बड़ी लापरवाही करते हुए मरीज़ का कोविड सेंटर में लेवल-2 का इलाज करने की जगह लेवल-3 का इलाज किया गया, जिसके लिए अस्पताल योग्य नहीं था,और मरीज़ की ज़िंदगी को बड़ा ख़तरा पैदा हो गया। इसके साथ ही अस्पताल पर दवाओं और टीकों के अधिक पैसे लेने के आरोप भी लगाए गए।
जिला उपायुक्त द्वारा गठित जांच समिति ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में बताया कि अस्पताल की तरफ से दवाएँ जारी करने और लगाने में फ़र्क है, मरीज़ के इलाज में मियाद ख़त्म हुई दवाओं का प्रयोग किया गया और अस्पताल की तरफ से मरीज़ का कोविड टेस्ट उस लैबाेरटरी से करवाया गया जो यह टेस्ट करने के योग्य नहीं थी। इसके उपरांत समिति की रिपोर्ट के आधार पर डिप्टी कमिश्नर की तरफ से सबंधित अस्पताल के ख़िलाफ़ FIR दर्ज करने की सिफारिश की गई है।
DC Thori’s strict action in the wrong treatment of Corona patient, FIR instructions against this hospital