अशवनी शर्मा 7837213007
PLN लुधियाना: सन्त श्री आसारामजी बापू द्वारा प्रेरित श्री तुलसी पूजन दिवस हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 25 दिसम्बर को मनाया जाएगा जिसमे हजारों लोग भाग लेंगे, और तुलसी जी के पौधे भी प्रसाद रूप में बांटे जाएंगे।
इस बारे में आश्रम के संचालक श्री महेश दादा जी ने बताया की बापू जी ने देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए देश को एक नया और बहुत पवित्र त्योहार दिया है “तुलसी पूजन दिवस”
देश कि वर्तमान परिस्थितियों में जबकि प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है और भावी पीढी को बर्बाद करने के लिए विदेशी कल्चर भी हिन्दुस्थान में घुस चुका है ऐसे में इस तुलसी पूजन दिवस का महत्त्व बहुत बढ़ जाता है, क्योंकि तुलसी जी का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही ये एक बहुत जबरदस्त प्राकृतिक एंटीबायटिक भी है और इससे वायु भी शुद्ध होती है, इसे अब आधुनिक वैज्ञानिक भी स्वीकार कर चुके हैं।
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इस अवसर पर सन्त श्री आसारामजी गुरुकुल के संचालक योगेश जी ने बताया की इस वर्ष भी ये आयोजन 25 दिसम्बर को दाना मंडी, अरोड़ा सिनेमा के पीछे, गिल रोड में सायें 3 बजे से हरी इच्छा तक मनाया जा रहा है। इस आयोजन में पूज्य बापू जी की स्तशिष्या साध्वी तरुणा बहन जी द्वारा दिव्य सत्संग किया जाएगा। उन्होंने बताया की इस आयोजन में बहुत सारी संस्थाएं भी शामिल होंगी और तुलसी जी के हजारों पौधे भी प्रसाद रूप वितरण किये जाएंगे।
बतादें कि तुलसी पूजन दिवस सन्त श्री आसारामजी बापू के आदेश से इनके शिष्यों द्वारा चालू किया गया था जिसकी उपयोगिता को देखते हुए आज इसे लगभग सारा देश मनाता है।
? तुलसी पूजन विधि ?
?? २५ दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें | उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढायें :
? *महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यम् तुलसी त्वाम् नमोस्तुते
?फिर ‘तुलस्यै नम:’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा वस्त्र व कुछ प्रसाद चढायें | दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की ७, ११, २१,५१ व १०८ परिक्रमा करें | उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें | तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है |
? *तुलसी – पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें | तुलसी के समीप रात्रि १२ बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद-विश्रांति पायें | तुलसी – नामाष्टक का पाठ भी पुण्यदायक है | तुलसी – पूजन अपने नजदीकी आश्रम या तुलसी वन में अथवा यथा–अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान में कर सकते हैं |
? *तुलसी – नामाष्टक* ?
वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनी विश्वपूजिताम् |
पुष्पसारां नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनीम् ||
एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् |
य: पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ||
?भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं | यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है |
? *जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है | ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :२२.३२-३३)
?? स्त्रोत -ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०१५ से