मानव मात्र के कल्याण का पर्व “कुम्भ” जाने श्री प्रयागराज में जारी इस महापर्व का पवित्र इतिहास
तीर्थ राज प्रयागराज कुम्भ पर्व 2019
जानिये क्या है प्रयागराज जी का इतिहास…
Punjab Live News (PLN News)
प्रयागराज जी की पावन धरती पर इन दिनों कुंभ का पर्व चल रहा है, ये धर्म और अध्यात्म दृष्टी से बहुत महत्वपूर्ण है। कुंभ का इतिहास बहुत पुराना है। प्रयागराज का जिक्र श्री रामायण-महाभारत काल के पहले से मिलता है। आपको बताते हैं इस ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व के बारे में ……
ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था।
अगर सृष्टि की रचना के समय की बात करें तो भी प्रयागराज जी का जिक्र मिलता है। परंपराओं के अनुसार, ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने ही अपने मन से मनु की उत्पत्ति की ओर फिर शतरूपा को बनाया, इसके बाद यह सृष्टि बनी। ब्रह्मा जी ने इसकी रचना से पहले यज्ञ करने के लिए धरती पर प्रयाग को चुना और इसे सभी तीर्थों में सबसे ऊपर, यानी तीर्थराज बताया। इसलिए इसे तीर्थराज भी कहा जाता है।
श्री रामायण में भी प्रयाग का विवरण
ब्रह्मा जी के यहां यज्ञ किए जाने की वजह से इसका नाम ‘प्रयाग’ पड़ा। उसके बाद त्रेतायुग के वर्णन में बताया जाता है कि इस संगम नगरी पर ही त्रेतायुग में भारद्वाज ऋषि जी का आश्रम था। पौराणिक विवरण के अनुसार, भगवान श्री राम वनवास के समय वन जाते समय और लंका-विजय के बाद वापस लौटते समय इनके आश्रम में गए थे। जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का सन्धिकाल था। वहीं तुलसीदास जी के श्री रामचरित मानस और महृषि बाल्मिकी की श्री रामायण में भी इसका जिक्र है। मत्स्य पुराण के कई अध्यायों में भी प्रयाग का उल्लेख किया गया है।
महाभारत काल में प्रयाग
महाभारत में कल्पवास का महत्व बताया गया है और मार्कंडेय जी धर्मराज युधिष्ठिर के एक प्रसंग में प्रयाग के बारे में कहा गया है। साथ ही महाभारत में प्रयाग के लिए कहा गया है कि प्रयाग तीर्थ सब पापों को नाश करने वाला है। साथ ही प्रयाग का वर्णन स्कंदपुराण, मत्स्यपुराण, पदमपुराण, ब्रह्मपुराण, विष्णुपुराण और नरसिंहपुराण सहित दूसरे पुराणों में भी है।
इस पर्व में लुधियाना से यहां पहुंचे कांतेंदू शर्मा ने बताया इस बार प्रशासन द्वारा यहां पर बहुत जबरदस्त प्रबन्ध किये गए हैं। सफाई का अच्छा प्रबन्ध है और तीर्थ में जल भी बहुत स्वच्छ है।
आशा है आप भी प्रयागराज में जारी कुम्भ पर्व के अवसर पर श्री संगम में स्नान कर आये होंगे। अगर अभी तक आप नहीं गए हैं तो शीघ्र जाएं और अमिट पुण्य के भागी बनिये।