नई दिल्लीः योगराज सिंह ने अपने बेटे युवराज सिंह को लेकर कहा कि मेरा पुत्तर ग्राउंड में बल्ला उठाकर फैंस का शुक्रिया अदा करते हुए संन्यास लेता तो अच्छा होता, पर ऐसा नहीं हो पाया। इसका मुझे ताउम्र मलाल रहेगा कि मेरी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई। उन्होंने कहा, मुझे अपने बेटे पर नाज है। उसने मेरी जिद के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया। मेरी भगवान से यही दुआ है कि युवी अगले जन्म में भी मेरा ही बेटा बने और क्रिकेट में देश का नाम रोशन करे।
योगराज सिंह ने बीसीसीआई का धन्यवाद करते हुए कहा कि कैंसर के दौर में बोर्ड ने युवराज सिंह की पूरी मदद की। मेडिकल से लेकर हर प्रकार की सुविधाएं दीं। वह दौर मेरे परिवार के लिए सबसे बुरा दौर था। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुए भी देश के लिए अच्छा क्रिकेट खेला। उन्हें अपने बेटे पर फख्र है।
युवराज ने पिता के साथ बैठकर लिया था संन्यास का निर्णय
योगराज सिंह ने बताया कि युवी ने उनके साथ बैठकर संन्यास का फैसला लिया था। ये मेरा और युवराज सिंह का निर्णय था। हम दोनों वर्ल्ड कप का ही इंतजार कर रहे थे। योगराज सिंह ने कहा कि जब लगभग 40 साल पहले मुझे टीम इंडिया से ड्रॉप किया गया था तो उस दर्द को मैं भूल नहीं पाया। तब मैंने ठान लिया कि एक दिन में अपने बेटे को भारतीय टीम में जगह दिला कर रहूंगा। इसके लिए मैंने न दिन देखा न रात। अपने घर को ही क्रिकेट के मैदान पर तब्दील कर दिया। उसका फल मुझे मिला। जो सपना मेरे आंखों ने देखा था और जो दर्द की टीस मेरे दिल में थी मेरे बेटे ने पूरा किया।