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HMV में स्नातकोत्तर पंजाबी विभाग की ओर से द्वि-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

जालंधर (अमन बग्गा): हंसराज महिला महाविद्यालय जालंधर के प्रांगण में कालेज प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी के प्रोत्साहनवर्धक दिशा-निर्देशन अधीन संस्था के स्नातकोत्तर पंजाबी विभाग की ओर से पंजाब साहित्य अकादमी, चण्डीगढ़ के सहयोग से ‘मां बोली दिवस’ को समर्पित द्वि-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया, जिसका विषय ‘साहित्य व समकालीन’ रहा। इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को पंजाबी के उन साहित्यकारों को समर्पित किया गया जो पिछले दिनों संसार को अलविदा कह गए हैं।

इस अवसर पर सर्वप्रथम कार्यक्रम का आगाज ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित कर एवं डी.ए.वी. गान से किया गया। इस उपरान्त विशिष्ट अतिथि श्री वरिन्दर कुमार शर्मा (आई.ए.एस., डिप्टी कमिशनर, जालंधर) एवं श्री एम.सी. शर्मा (सेक्रेटरी डीएवीसीएमसी) एवं अन्य गणमान्य सदस्यों डॉ. आत्मजीत (प्रसिद्ध नाटककार), डॉ. सतीश कुमार (सेक्रेटरी, पंजाब साहित्य अकादमी), डॉ. सरबजीत सोहल (प्रधान साहित्य अकादमी), डॉ. रवेल सिंह, डॉ. ज्ञानजीत कंग व केवल धारीवाल का संस्था परम्परानुसार एवं कुलदीप सिंह दीप का प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी ने प्लांटर भेंटकर हार्दिक अभिनंदन किया।

इस उपरांत प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी ने अपने अभिनंदन वक्तव्य में सर्वप्रथम गणमान्य अतिथियों का संस्था प्रांगण में स्वागत किया एवं पंजाबी विभागाध्यक्षा श्रीमती नवरूप कौर एवं उनकी समूह टीम को इस अद्वितीय समागम हेतु बधाई दी एवं कहा कि आज के युग में साहित्य व सभ्यता को संभालने की जिम्मेदारी हमारे युवा वर्ग के कंधों पर हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन दो दिनों की संगोष्ठी में निश्चय ही हमारे विचारों में सकारात्मक सोच आएगी, जिससे समाज को एक नव-दिशा मिलेगी। उन्होंने नारी की इस सकारात्मक सोच में विशिष्ट योगदान पर भी चर्चा की एवं कहा कि हम प्रण करें कि हम स्वच्छ साहित्य को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरण करें। उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के साथ बेटा समझाओ व बुजुर्ग अपनाओ का संदेश दिया ताकि समाज प्रगति व विकास पथ पर अग्रसर रहें।

इस उपरान्त पंजाबी विभागाध्यक्षा श्रीमती नवरूप कौर ने उपस्थित सम्मानीय सदस्यों का अभिनंदन करते हुए विभाग की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की। इसी उपलक्ष्य में सरबजीत सोहल (अध्यक्ष, पंजाबी साहित्य अकादमी, चंडीगढ़) ने कहा कि हमारे पास पंजाबी साहित्य का अमूल्य खजाना है।

साहित्य मनुष्य को संवेदनशील बनाता है, ज्ञान में अभिवृद्धि करता है। समकालीन साहित्य में अतीत के साथ-साथ भविष्य के स्वप्न भी विद्यमान हैं। विशिष्ट अतिथि डिप्टी कमिश्नर श्री वरिन्दर कुमार शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भाषा जीने की कला सिखाती है। आज के टैक्नालोजी के युग में साहित्य की अपनी विलक्षण भूमिका है। हमें अपनी भाषाओं की रक्षा स्वयं करनी होगी, उसे जीवित व विकसित करने की जिम्मेदारी हमारी है। श्री सतीश कुमार वर्मा ने कहा कि मां व मां बोली की ताकत से हम जीवित हैं। उन्होंने पंजाबी भाषा की लिपि की सराहना की। मुख्य वक्ता डॉ. आत्मजीत ने कहा कि साहित्य पीड़ा को समझने व उससे निपटने का साधन भी है। इस उपरान्त एम.सी. शर्मा (सेक्रेटरी डीएवीसीएमसी, नई दिल्ली) ने आयोजक मंडल को बधाई दी एवं डीएवीसीएमसी प्रधान पदमश्री आर्य रत्न डॉ पूनम सूरी जी की ओर से भी धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा गुरुओं की भाषा है जो नम्रता सिखाती है। उन्होने स्वामी दयानंद जी के स्त्री शिक्षा में दिए योगदान की भी चर्चा की। डॉ. रवेल सिंह ने डीएवी संस्था एवं एचएमवी तथा समस्त गणमान्य अतिथियों के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस उपरान्त अगले सत्र में चिन्तन सैशन चलाया गया जिसका विषय संसारिकता, राष्ट्रीयता एवं स्थानीयता अन्तरसम्बन्ध एवं अन्तद्वन्द रहा। इसमें मुख्यातिथि स्वरूप सतनाम मानक (कार्यकारी संपादक, रोजाना अजीत), विशिष्ट अतिथि डा. हरचन्द सिंह बेदी, डा. बलबीर परवाना, डा. परवीन कुमार, श्री सुखबीर सिंह सिरसा उपस्थित थे।

दोपहरान्तर सत्र में चिन्तन ख्याल के प्रसंग में दृश्य माध्यम की प्रभुसत्ता (पंजाबी, रंगमंच, रेडियो, टी.वी., सिनेमा, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के प्रसंग में) विषय पर विचार-विमर्श किया गया। इसमें विशिष्ट अतिथि दविंदर दमन (यू.एस.ए.), केवल धारीवाल, डा. कमलेश दुग्गल, बलजीत सिंह, राजीव शर्मा, पाली भूपिंदर सिंह मौजूद रहे। इस उपरान्त समानान्तर सैशन में नरिंदर कुमार कपूर (स्पीकर), डा. सतनाम सिंह संधु, डा. निंदर घुगियानवी मौजूद रहे।

संध्याकाल में बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें मुख्यातिथि डा. लखविंदर जोहल, खुशबीर सिंह शाद, अजायब चट्ठा, दर्शन बुट्टर, सरबजीत सवी, प्रो. नवरूप कौर ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की। समस्त द्विदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन संगोष्ठी अध्यक्षा श्रीमती नवरूप कौर, कोआर्डिनेटर श्रीमती कुलजीत कौर, कनवीनर श्रीमती वीना अरोड़ा व को-कनवीनर श्रीमती सतिन्दर कौर के संरक्षण में किया गया। मंच संचालन प्रो. कुलजीत कौर ने किया। इस अवसर पर लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी भी मुख्य आकर्षण का केन्द्र रही।