नई दिल्लीः कोरोना वायरस ह्यूमन सेल्स में कैसे दाखिल होता है, इसका पता अमेरिका में वैज्ञानिकों ने लगा लिया है। उम्मीद है कि इस खोज से कोविड19 की नई दवा बनाने में मदद मिल सकती है। अमेरिका में माउंट सिनाय में Icahn School of Medicine के रिसर्चर्स समेत अन्य रिसर्चर्स ने यह खोज की है। उन्होंने SARS-CoV-2 के सेल्स में दाखिल होने और अन्य कोरोनावायरसों के दाखिल होने की तुलना भी की है।
जर्नल PNAS में छपी एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने आकलन किया है कि SARS-CoV-2 और इसका बेहद करीबी SARS-CoV वायरस कैसे ह्यूमन ACE2 रिसेप्टर प्रोटीन्स को एंट्री ग्रेट की तरह इस्तेमाल कर सेल्स में दाखिल होता है। वायरस के प्रवेश को ठीक से समझने के लिए रिसर्चर्स ने लैब टेस्ट किए। उन्होंने उस प्रमुख मैकेनिज्म का पता लगा लिया है, जिससे SARS-CoV-2 होस्ट इम्यून सिस्टम से बच निकलता है और सेल्स में एंटर कर जाता है।
रिसर्चर्स का कहना है कि SARS-CoV-2 की सरफेस पर स्पाइक प्रोटीन होस्ट सेल रिसेप्टर ACE2 से एक पोर्शन के जरिए सरफेस पर ही बंध जाता है। इसे रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन या RBD कहते हैं। मानव में RBD बायोलॉजिकल मॉलिक्यूल्स से एक्टिवेट होता है, जिसे प्रोटीजेज कहा जाता है। रिसर्चर्स के मुताबिक, नोवल कोरोनावायरस में छिपा RBD होस्ट इम्यून सिस्टम से बच सकता है और संभावित तौर पर अपर्याप्त इम्यून रिस्पॉन्स और रिकवरी में लंबा वक्त लगने की ओर ले जा सकता है।
स्टडी के मुताबिक, SARS-CoV-2 RBD की ACE2 बाइंडिंग 2002-03 SARS की बाइंडिंग से ज्यादा गहरी है। इसलिए SARS-CoV-2 ज्यादा आसानी से सेल में एंट्री कर जाता है। यह भी सामने आया कि RBD को कम एक्सेसिबल रखते हुए नोवल कोरोनावायरस अपनी हाई इन्फेक्टिविटी को बरकरार रखने के लिए होस्ट प्रोटीज एक्टिवेशन पर निर्भर है। होस्ट प्रोटीज एक्टिवेशन कोरोना इन्फेक्शन का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है और होस्ट इम्यून सर्विलांस व ह्यूमन इंटरवेंशन स्ट्रैटेजीस के लिए एक महत्वपूण टार्गेट।
रिसर्चर्स ने स्टडी में कहा है कि RBD की उच्च ACE2 बाइंडिंग एफिनिटी, स्पाइक का फ्यूरिन प्रीएक्टिवेशन और स्पाइक में छिपा हुआ RBD संभावित रूप से SARS-CoV-2 को इम्यून सर्विलांस से छिपकर आसान सेल एंट्री बरकरार रखने में मदद करते हैं।