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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के सहयोग से पिम्स अस्पताल में वर्कशाप का आयोजन

जालंधर (अमन बग्गा): इंडियन रेडियोलॉजिकल एण्ड इमेजिंग एसोसिएशन पंजाब द्वारा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सहयोग से पिम्स हॉस्पिटल जालन्धर में एक प्ररेणादायक वर्कशाप का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के रेडियोलॉजिस्ट, सोनोलॉजिस्ट एवं विशिष्ट डाक्टर्स सम्मिलित हुए। इस वर्कशाप के प्रारम्भ में मुख्या अतिथि श्री ब्रह्म मोहिन्द्रा (स्थानीय निकाय मंत्री पंजाब) का एसोसिएशन के जनरल सैक्रेटरी डा. मुकेश गुप्ता द्वारा हार्दिक अभिनंदन किया गया। इसके पश्चात डा. सुरिन्द्र जी द्वारा पीसीपीएपडीटी एक्ट के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की।

इसके पश्चात दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से प्रवक्ता साध्वी सुश्री मनेन्द्रा भारती जी द्वारा ‘नॉकिंग आउट स्टे्रस फ्रॉम लाइफÓ विषय पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंनें बताया कि तनाव वह प्रकिया या व्यवहार है जो अनियंत्रित परिस्थितियों के कारण पैदा होता है। व्यक्ति अनेकों प्रकार के दबाव जैसे कि मान्यताएं, उम्मीदें, अधिकारात्मकता, भूतकाल, अहंकार, वातावरण, परस्पर संबंध, तुलना व आर्थिक परिस्थितियों के कारण अवसाद या तनाव ग्रसित हो जाता है। इनमें से कुछेक परिस्थितियां तो व्यक्ति स्वयं ही पैदा कर लेता है जो उसके नियंत्रण में होते हुए भी अनियंत्रित हो जाती है। तनाव हमारे साथ होने वाली घटनाओं के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है जो हम स्वयं चुन सकते हैं।

श्री आशुतोष महाराज जी का कथन है कि तनाव कमजोर और अस्थिर मन की स्थिति है जो अज्ञानता के कारण ज्ञान के स्रोत के साथ एकाकार नहीं हैं। इसलिए तनाव दूर करने के लिए व्यक्ति को स्वयं के साथ आंतरिक तौर पर जुडऩा पड़ेगा जो केवल अध्यात्मिक जागृति द्वारा संभव है। वर्कशाप के अगले चरण में सस्थान की प्रवक्ता साध्वी सुश्री वैष्णवी भारती जी ने बताया कि जीवन में अवसाद की स्थिति से बाहर निकलने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा की आवश्यकता है। निराश अर्जुन श्री कृष्ण जी के मार्गदर्शन के कारण सफल हो पाया है। पिता की मृत्यु के बाद विषम परिस्थितियों से घिरे होने पर भी नरेन्द्र ने स्वामी विवेकानंद तक का सफर तय कर लिया।

सम्पूर्णराज्य का कार्यभार सम्भाले हुए भी राजा जनक कभी तनाव में नहीं आए। इसलिए तनाव से मुक्ति पाने का एक मात्र सशक्त माध्यम बना-अध्यात्म। अध्यात्म व्यक्ति को स्वार्थी नहीं बनाता। आज समाज में देखें स्वार्थ इतना अधिक है कि व्यक्ति की भाव संवेदना ही समाप्त हो चुकी है। भारतीय संस्कृति का केंद्रीय तत्व है भाव संवेदना और इसकी प्रचुरता नारी में पाई जाती है। परंतु जब वही कन्या के रूप में घर आने लगती है तो उसको कोख में ही मरवा देते है। कन्या भ्रूण हत्या की समस्या मुंह बाए खड़ी है। इसलिए अध्यात्म की व्यक्ति में जागृति की ऐसी मशाल जगाता है जो बुराईयों के तमस का भेदन कर देती है। तनाव युक्त समाज को तनाव मुक्त बनाना है तो अध्यात्म को अपनाना होगा।

इस वर्कशाप में कई विशिष्ट अतिथि श्री गुरप्रीत सिंह भुल्लर (पुलिस कमिश्नर, जालन्धर), डा. राजेश बग्गा (सिविल सर्जन,जालन्धर), श्री अमित सिंह (रेजीडेंट डायरेक्टर, पिम्स, जालन्धर),डा.गुरदीप ङ्क्षसह (अध्यक्ष आई आर आई ए), Dr. Mukesh Gupta (Indian Radiology Association Secretery), डॉ. अनूप बौरी, सुनीश तांगरी, डॉ. रमन चावला, डॉ. सुषमा चावला, डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. नवजोत दाहिया, डॉ. राजीव गुप्ता, डॉ. कनवल चौधरी, डॉ. रघबीर सिंह भी उपस्थित हुए।