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अब बैंकों के मामले CBI के पास नहीं जाएंगे, 1 जनवरी से ग्राहकों को मिलेगी ये बड़ी राहत

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व बैठक की। बैठक के बाद वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि 2018-19 में जिन 19 बैंकों को घाटा हुआ था उनमें से 13 बैंकों को 2019-20 की पहली छमाही में लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा किए गए व्यापक सुधारों की बदौलत बैंकों हालत में काफी सुधार हुआ है।

वित्त सचिव ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए (फंसे कर्ज) भी घट गया है जो मार्च 2018 में 8.96 लाख करोड़ रुपये था वह सितंबर 2019 में घटकर 7.27 लाख करोड़ रुपये हो गया है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि जिन कारोबारियों का वार्षिक व्यापार पचास करोड़ रुपये से अधिक है वो कम खर्च वाले डिजिटल भुगतान के माध्यम (जैसे भीम, यूपीाई, यूपीआई क्यूआर कोड, आधार पे, डेबिट कार्ड्स, एनईएफटी इत्यादि) अपने ग्राहकों को प्रदान करते हैं तो ग्राहकों के साथ ही व्यापारियों पर भी कोई शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं लगाया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि सीबीआई निदेशक ने जल्द ही बैंकरों के साथ विस्तृत चर्चा करेंगे तांकि बैंकरों की सभी आशंकाओं को खत्म कर उनके डर को दूर किया जा सके। निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों की अनुमति के बिना कोई भी मामला सीबीआई के पास नहीं भेजा जाएगा। सरकार के मुताबिक, सरकारी बैंकों में 60,314 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई है और इसके अतिरिक्त 8855 करोड़ रुपये (इंडियन ओवरसीज बैंक को 4360 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक को 2153 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 2142 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक को 200 करोड़ रुपये) की राशि मंजूर की जा चुकी है जिसे जल्द ही जारी किया जाएगा।