जालंधरः गर्मियों शुरु हो चुकी है और बाजार में आपको आम, तरबूज आदि फल देखने को मिलेंगे। लोग बड़े चाव से इन फलों को खरीदते है और खाते है। लेकिन फल खरीदने से पहले क्या आपने कभी सोचा है कि इन फलों को आखिर किस तरह पकाया गया है, क्या इसे पकाने में कहीं केमिकल्स का इस्तेमाल तो नहीं हुआ ? आज हम आपके इसे सवाल का जवाब देंगे। लेकिन सबसे पहले आपको बता दे इन केमिकल्स वाले फल को खाने से आपको जानलेवा बिमारी हो सकती है। इसलिए फल खरीदते समय हमेशा ध्यान रखें कि आप बिना केमिक्ल वाले ही फल खरीदें। आईए जानते है खरीदने का तरीका…
केमिकल्स द्वारा पकाए गए फलों में धब्बा और आर्टिफिशियल चमकीला रंग होता है। इसके अलावा जो आम कर्बाइड से पकाया जाता है। इसके इस्तेमाल से दो से तीन दिन के भीतर ही फल का रंग पीले से काला होने लगता है। कार्बाइड से पकाए फल का स्वाद बीच में मीठा होता है और किनारे से कच्चा होता है। इसलिए बगैर धब्बे वाले फल-सब्जी खरीदें।
ध्यान में रखें ये बात
फलों को समय से पहले पकाने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा फलों के आकार और उनका वजन बढ़ाने के लिए भी केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। फलों व सब्जियों को तरोताजा रखने, चमकाने व इन्हें ज्यादा दिन तक टिकाए रखने के लिए मोम और आर्टिफिशियल कलर का इस्तेमाल करते हैं।
केमिक्ल्स वाले फल खाने के प्रभाव
डॉक्टर के मुताबिक कार्बाइड से पके आमों के उपयोग करने पर लोगों को उल्टी आना, कमजोरी महसूस होना, सांस लेने में परेशानी होना, सिर में दर्द होना, छाती में जलन होना एवं चमड़े पर घाव सहित कई तरह की परेशानी हो सकती है। कार्बाइड से पके फलों को अधिक दिनों तक खाने से पाचन तंत्र में गड़बड़ी आ सकती है। धीरे-धीरे कार्बाइड आंतों को प्रभावित करने लगता है। कार्बाइड के लगातार सेवन से आंतों में कैंसर होने लगता है। कार्बाइड लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है।
सजा का भी है प्रावधान
आपको बता दें कि फलों को पकाने में कार्बाइड का इस्तेमाल खाद्य संरक्षा व मानक अधिनियम-2011 की धारा 23.5 के तहत बैन है। इसका भंडारण, सेल, मार्केटिंग या इंपोर्ट करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी है।