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बादल परिवार के खिलाफ 5 बार चुनाव लड़ने वाले और सुखबीर बादल को हराने वाले जगमीत सिंह बराड़ हुए 42 वर्ष बाद अकालीदल में शामिल 7 लोकसभा और 2 विधानसभा चुनाव लड़े, इनमें से 5 बादलों के खिलाफ

चंडीगढ़ः कांग्रेस के पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़ आखिरकार अकाली दल में शामिल हो गए। इस मौके उनके शिअद में शामिल करने के लिए शिअद प्रधान सुखबीर बादल जगमीत बराड़ के मुक्तसर स्थित आवास पर उन्हें पार्टी में शामिल करवाने के लिए पहुंचे इस मौके उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी इस मौके पर पहुंचे।

अकाली दल में शामिल होने के दौरान जगमीत सिंह बराड़ काफी खुश नजर आए। वह अकाली नेताओं से गले मिलते दिखे। बता दें, बराड़ के पिता गुरमीत सिंह बराड़ शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता रहे हैं जिनका फरीदकोट जिले में अच्छा खासा राजनीतिक आधार था। लेकिन, उनकी मौत के बाद बादल और बराड़ परिवार में दूरियां बढ़ गईं। जगमीत बराड़ जो उस समय अकाली दल की वर्किंग कमेटी के सदस्य थे, ने अपने पिता की मौत के लिए प्रकाश सिंह बादल को जिम्मेवार ठहराया और पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल निजी तौर पर जगमीत बराड़ के निशाने पर रहे।

जगमीत बराड़ ने गत दिवस तीन ट्वीट करके अपनी नई पारी की शुरुआत करने के बारे में अपने समर्थकों को जानकारी दी। उन्होंने लिखा- मैं लोगों के राजनीतिक जीवन में हूं। अकाली दल ने मुझे सिखिज्म और पंजाब के लोगों की सेवा के मेरे लक्ष्य को पूरा करने का अवसर दिया है। मैं पहले की तरह लोगों के मुद्दे उठाता रहूंगा। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, मैं अपनी निजी और राजनीतिक क्षमता में गुरु नानक साहिब के सदाचार और सिद्धांतों पर चलता रहा हूं। इसलिए मैं अपने सभी समर्थकों को बताना चाहता हूं कि मैं शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो रहा हूं।

सियासी करियरः 1980 और 1985 }दो बार बड़े बादल के खिलाफ गिद्दड़बाहा से लड़े। मगर हार गए।
1989 फिरोजपुर लोकसभा से लड़े, मगर शिअद अमृतसर के ध्यान सिंह मंड से हार गए।
1992 फरीदकोट से लड़े, शिअद का बायकाट होने से बीएसपी प्रत्याशी को हरा पहली बार सांसद बने।
1996 उन्होंने टिकट न मिलने पर आचाद चुनाव लड़ा मगर फरीदकोट लोकसभा से हार गए।
1998 कांग्रेस की टिकट से सुखबीर के खिलाफ फरीदकोट से लड़े मगर हार मिली।
1999 सुखबीर के खिलाफ फरीदकोट से लड़े, इस बार जगमीत ने सुखबीर को 5148 वोट से हरा दिया।
2004 बराड़ ने फिरोजपुर से किस्मत आजमाई, मगर शिअद के जोरा सिंह मान से हार गए।
2009 फिर से फिरोजपुर से चुनाव लड़ा मगर इस बार शिअद के शेर सिंह घुवाया से हार गए।