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संसद में गूंजा प्राइवेट स्कूलों की लूट का मुद्दा. स्कूलों ने 150% बढ़ाया शुल्क .सरकार बनाएगी कानून?

देशभर के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और मनचाही फीस वसूलने का मुद्दा शुक्रवार को संसद में गूंजा. प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों से ली जा रही मनमानी फीस पर शुक्रवार को समाजवादी पार्टी और बीजेपी के सांसदों ने राज्यसभा में उठाया. राज्यसभा मे शून्यकाल के दौरान देश भर में निज़ी स्कूलों में फीस अनियमितता और स्कूलों द्वारा अभिभावकों के शोषण पर कई सांसदों ने चिंता व्यक्त की.

राज्यसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी सांसद सुरेन्द्र नागर ने कहा कि 2005 से लेकर 2019 तक निज़ी स्कूलों ने फ़ीस में 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. यही नहीं प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी करने में जुटे हैं और उन पर किसी का लगाम नहीं है. सुरेन्द्र नागर ने नोएडा के अभिभावकों का उदाहरण देते हुए सदन में कहा कि स्कूल वालों का मनमानी के खिलाफ पैरेंट्स अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं और कोई सुनने वाला नहीं हैं.

यूपी में 2018 में फी कंट्रोल एक्ट बना था, जिसका अनुपालन नहीं हो रहा है. सुरेंद्र नागर ने राज्यसभा में सरकार से मांग की कि केंद्र सरकार स्कूलों की फीस को नियंत्रण करने के लिए पूरे देश में एक कानून बनाए. वहीं बीजेपी से राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक ने भी निजी स्कूलों की मनमानी का मुद्दा राज्यसभा में उठाया. श्वेत मलिक ने कहा कि स्कूल एडमिशन से पहले चंदा मांगते हैं. बिल्डिंग डोनेशन मांगते हैं और अपनी कई ब्रांच खोलते जाते हैं.

किताब, वर्दी, टूर के नाम पर ज्यादा शुल्क वसूले जा रहे हैं. अभिभावक को बाहर ये किताबें नहीं ख़रीदने दी जाती है. 4-4 गुना फीस स्कूल वाले बढ़ाते हैं. सरकार को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए. आपको बता दें कि निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी और एडमिशन के लिए डोनेशन का खेल बहुत लंबे समय से चलता आ रहा है. अभिभावक परेशान होते हैं और मजबूरी में स्कूल की शर्तों को मानना पड़ता है. अब देखना ये होगा कि क्या केंद्र सरकार निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए कोई कानून बनाएगी?