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संत श्री आशुतोष जी महाराज को समाधी लिए हुए 6 साल, जिंदा होने की उम्मीद में भक्त 24 घंटे देते हैं पहरा, करोड़ो भक्तों की आस्था बरकरार

चंडीगढ़ः पंजाब के लुधियाना में नूरमहल डेरा के प्रमुख और दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संत आशुतोष महाराज को डॉक्टरों ने छह साल पहले मृत घोषित किया था लेकिन भक्तों ने अभी भी उन्हें -22 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर फ्रीजर में रखा हुआ है। 28 जनवरी को 2014 को उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी। इसके बाद लुधियाना के सद्गुरु प्रताप अपोलो अस्पताल एंबुलेंस बुलाई गई। डॉक्टरों ने जब आशुतोष महाराज को देखा तो उन्हें मृत (क्लीनिकली डेड) घोषित कर दिया था लेकिन आज भी जहां उनका शव फ्रीजर में रखा गया है। उस कमरे की 20 भक्त 24 घंटे सुरक्षा में खड़े रहते हैं। उनके करोड़ों भक्तों की आस्था आज भी कायम है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद तीन डॉक्टरों का पैन हर छह माह में आशुतोष महाराज के शव का परीक्षण करते हैं कि उनका शव खराब तो नहीं हो रहा। डॉक्टरों के इस पैनल ने हाल में दिसंबर 2018 में उनके शव का निरीक्षण किया था। इस पैनल में शामिल डॉक्टरों के नाम हैं- दयानंद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजय गोयल, इसी कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसीन डिपार्टमेंट के डॉ गौतम विश्वास और जालंधर के सिविल सर्जन शामिल हैं। वहीं दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने भी अपने स्तर पर डॉक्टरों की एक टीम बनाई है जिसमें दिल्ली के कुछ विशेषज्ञ शामिल हैं। बताया जा रहा है यह टीम प्रत्येक चार रातों में आशुतोष महाराज के शव का चेकअप करती है। 

कौन है आशुतोष महाराज?
आशुतोष महाराज का असली नाम महेश झा है। इनका जन्म 1946 में बिहार में दरभंगा जिले के नखलोर गांव में हुआ था। बताया जा रहा कि शादी के 18 माह बाद ही इन्होंने अपनी पत्‍नी और एक बच्चे को छोड़कर सतपाल महाराज से दीक्षा ले ली थी। सतपाल महाराज मानव उत्थान सेवा समिति के संस्थापक हैं। 1983 में आशुतोष महाराज ने अपना एक अलग आश्रम शुरू किया।

नूरमहल सिटी में 16 मरला हाउस खरीदने से पहले आशुतोष महाराज गांवों में जाकर सत्संग किया करते थे और अपने आश्रम का प्रचार किया करते थे। आज उनका आश्रम जालंधर में करीब 40 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है और देशभर में उनके 100 केंद्र मौजूद हैं। उन्होंने दिव्य ज्योति जागरण समिति की स्थापना 1991 में की थी और इसका मुख्यालय दिल्ली को बनाया था।