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कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी संतोख सिंह ने आलू उत्पादकों की समस्याओं का स्थाई समाधान निकालने का किया वादा

जालंधर (अमन बग्गा): आलू उत्पादकों को हर दो साल बाद आलू की बंपर फसल या अन्य कारणों से होने वाली आर्थिक क्षति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जालंधर लोक सभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी संतोख सिंह ने आलू उत्पादकों से वादा किया कि दोआबा पट्टी में जो आलू की फसल का गढ़ है, एक मैगा प्रोसेसिंग यूनिट का प्रोजेक्ट लाकर उनकी समस्याओं का स्थाई और उपयुक्त समाधान निकाला जायेगा।

आज शाहकोट के कांग्रेस विधायक हरदेव सिंह लाडी शेरोवालीया के साथ शाहकोट विधानसभा हलके के कई गाँवों जिनमें तलवंडी माधो, मलसीयां, बाजवा कलां, मानकपुर, मियावाल अराइयां और शाहकोट भी शामिल हैं, में जन सभाओंको संबोधित करते हुए चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के हाथों में लालीपाप थमाने के अलावा और कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा कि आलू उत्पादकों को हर दो साल बाद आलू की भारी फसल होने या फिर किसी और कारण से भारी आर्थिक क्षति झेलनी पड़ती है परन्तु मोदी ने उनकी सहायता के लिए कभी भी अपना हाथ नहीं बढ़ाया। उन्होंने दावा किया कि यह सिर्फ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ही हैं जिन्होंने किसानो को उनकी मंदहाली से निकालने के लिए मार्कफेड को स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील और जेलों में कैदियों के खाने के लिए आलू खरीदने के आदेश जारी करके उनकी सहायता की।

चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि एक सांसद होने के नाते उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री के सामने आलू उत्पादकों का मुद्दा उठाते हुए आलू की फसल को कृषि निर्यात नीति में शामिल करने की मांग की परन्तु मोदी सरकार ने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने कहा कि आलू की फसल के लिए कृषि भूमि में चाहे वृद्धि हुई है परन्तु आलू की कीमतें गिरी हैं। विशेष रूप से जब आलू की भारी फसल होती है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय और किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार आलू की राष्ट्रीय औसत कीमत दिसंबर 2018 में 1057. 83 रुपये प्रति क्विंटल थी जबकि इसी अवधि में पंजाब में आलू की औसत थोक कीमत केवल 417.14 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो लागत उत्पादन खर्च से भी बहुत कम थी।

चौधरी संतोख सिंह की तरफ से संबोधित किये गए लोगों के भारी समूह में बड़ी संख्या में किसान शामिल थे, जिन्होंने कहा कि सरकार यदि दलालों और व्यापारियों पर शिकंजा कसते हुए आलू के थोक और खुदरा मूल्य में सांमजस्य बिठाये तो उन्हें चाहे फसल के लाभदायक मूल्य ना मिलें परन्तु लागत उत्पादन खर्च तो मिलने की संभावना बनी रहेगी।

उन्होंने किसानो को भरोसा दिलाया कि वह सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे तथा कहेंगे कि पंजाब को टीओटी (टोमेटो-ओनियन-टोमेटो) योजना में शामिल किया जाए ताकि सरकार आलू की फसल को अच्छे दाम में खरीद सके। उन्होंने कहा कि किन्नू की फसल की तरह ही सरकार को आलू उत्पादकों की इ-मार्कीटों के माध्यम से सहायता करनी चाहिए और मध्य पूर्व तथा रूस को आलू का निर्यात करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने वादा किया कि सत्ता में आने पर कांग्रेस दोआबा क्षेत्र में एक मैगा डिब्बाबंद औद्योगिक प्रोजेक्ट लाएगी ताकि आलू का इस यूनिट में अधिक इस्तेमाल हो सके और किसानो को आर्थिक संकट से उभारने का अवसर पोरदान किया जा सके और अपनी फसल के अच्छे दाम भी वह पा सकें।

चौधरी संतोख सिंह ने दावा किया कि कांग्रेस सरकारों ने चाहे वह पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान या छत्तीसगढ़ हो, सत्ता संभालते ही किसानों के कर्ज़े माफ़ करने के मामलों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें राहत प्रदान की है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस कृषि क्षेत्र के लिए प्रस्तावित विशेष किसान बजट के माध्यम से वास्तविक रूप में अच्छे दिन लाएगी। चौधरी ने कहा कि लोगों ने उन्हें भारी जीत का भरोसा दिलाया और उन्हें यह बताया कि लोग एन डी ए सरकार की किसान विरोधी और दलित विरोधी नीतियों से ऊब चुके हैं और अब 19 मई के दिन का इंतज़ार कर रहे हैं। जब वह कांग्रेस चिन्ह का बटन दबा कर कांग्रेस को वोट डाल कर एन डी ए सरकार को उखाड़ फेंकेंगी।

चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने 2014 के चुनाव घोषणा पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करेगी, परन्तु किया कुछ भी नहीं। इस बार तो यह वादा ही भाजपा के घोषणा पत्र से गायब है। जिससे भाजपा और इसके नेताओं के दोहरे चेहरे का पता चलता है।

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने किसानो की चिंताओं और तकलीफों को दूर करने के लिए पहलकदमी की है और अपने शासन के पहले दो वर्षों में ही उनके कर्जे माफ़ करने का वादा पूरा किया है।उन्होंने कहा कि प्रारंभ में कर्जमाफी छोटे किसानो के लिए थी जो अब अन्य किसानो और खेत मजदूरों के लिए भी होगी।

चौधरी ने कहा कि मोदी की सरकार ने तो रेलवे का बजट ही पेश करना बंद कर दिया है परन्तु सत्ता में आने पर कांग्रेस ना केवल रेलवे बजट को फिर से संसद में पेश किये जाने की कार्रवाई को अंजाम देगी बल्कि किसानों की समस्याओं के हल के लिए एक अलग किसान बजट भी संसद में लाएगी, ताकि कृषि क्षेत्र की समस्याओं को पहल के आधार पर हल किया जा सके।

उन्होंने कहा की पार्टी ने किसानो को क़र्ज़ माफी से क़र्ज़ मुक्ति के पथ पर डाल दिया है और यह कार्य उनकी फसलों के उपयुक्त दाम दिला कर, फसलों का लागत खर्च कम करके तथा संस्थागत क्रेडिट तक उनकी पहुंच को विश्वस्त बना कर किया जाएगा।