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सुखबीर बादल 1986 में नकोदर में हुई बेअदबी की घटना की जांच करने वाले गुरनाम सिंह आयोग की रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई के बारे में जवाब दें: चौधरी संतोख सिंह

शाहकोट (अमन बग्गा): जलांधर लोक सभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी संतोख सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल से इस बात का जवाब माँगा है की 1986 में नकोदर में हुई बेअदबी की घटना और इस घटना के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर की गई पुलिस द्वारा फायरिंग में मारे गए चार सिख युवको के मामले की जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई का पंजाब के लोगों को अवश्य जवाब दें।

उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट 2001 में अकाली-बीजेपी सरकार के समय के दौरान तब विधानसभा में पेश की गई थी जब जालंधर से चुनाव लड़ रहे अकाली उम्मीदवार चरणजीत सिंह अटवाल विधानसभा के स्पीकर थे। अटवाल ने उस समय इस रिपोर्ट को जानबूझ कर इसलिए ठंडे बस्ते में डाल कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को बचाया जा सके।

शाहकोट में आज कई विशाल रैलियों को संबोधित करते हुए चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल लोगो को बताएं कि इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की गई थी और यह भी कि यह रिपोर्ट अब कहाँ है ? रिपोर्ट में बेअदबी की घटना के लिए किसे दोषी ठहराया गया था? प्रोटेस्ट कर रहे सिखों पर फायरिंग के आदेश किसने दिए थे जिसमें चार सिख युवक मारे गए थे। वह यह भी बताएं कि अटवाल ने स्पीकर होते हुये सरकार पर एक्शन टेकन रिपोर्ट के लिए सरकार पर दबाब क्यों नहीं डाला?

चोधरी संतोख सिंह ने शाहकोट के कांग्रेस विधायक हरदेव सिंह लादी शेरोवालीया के साथ शाहकोट विधानसभा हल्के के गाँवों गिदरपिंडी, नाहला, महाराजवाला, ककड़ कलां, टुरना, निहालूवाल और लोहिया कस्बे के दशमेश पार्क में लोगों के साथ मुलाकात के और रैलियों को संबोधित किया।

उन्होंने दावा किया कि इन लोक सभा चुनावों के बाद अकाली दल पंजाब की राजनीति से लुप्त हो जाएगा क्योंकि अकाली एक भी सीट नहीं जीत पाएंगे। उन्होंने कहा कि अकाली दल अपने आप को पंथिक पार्टी कहलाने का अधिकार खो चुका है। उन्होंने कहा कि बादलों का पंथ विरोधी चेहरा उस समय उजागर हो गया था जब बरगाड़ी की बेअदबी और कोटकपूरा की पुलिस फायरिंग की घटनाओ में बादलों की संदिग्ध भूमिका सामने आई थी। पुलिस फायरिंग में दो निर्दोष सिखों हो गई थी।

उन्होंने बादलों पर आरोप लगाया कि उन्होंने बेअदबी और पुलिस फायरिंग की घटनाओ की जांच कर रही सिट के एक ईमानदार अधिकारी आईजी कुंवर विजय प्रताप को ट्रांफर कराने के लिए मोदी के प्रभाव का इस्तेमाल किया और जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया। उन्होंने दवा किया कि पंजाब में जब जब भी अकालियों ने सत्ता संभाली है, बेअदबी की घटनाएं बढ़ी हैं। यह बात अकाली-बीजेपी गठजोड़ के पिछले एक दशक के शासन के दौरान सिद्द हो चुकी है।

नकोदर की 1986 की बेअदबी की घटना का उल्लेख करते हुए चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि उन्हें आज भी याद है कि इस घटना के बाद शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शनकर रहे लोगों पर पुलिस ने किस तरह गोली चलाई थी और उसमें चार सिख युवक मारे गए थे।
उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच के लिए एक आयोग स्थापित किया गया था जिसने 2001 मैं अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी। उस समय अब जालंधर से चुनाव लड़ रहे अकाली दल के उम्मीदवार चरणजीत सिंह अटवाल स्पीकर थे उन्होंने इस रेप ऑर्ट पर जानबूझ कर कोई ज कार्रवाई नहीं होने दी और इसे ठंडे बस्ते में दाल दिया था। उन्होंने सरकार पर इस रिपोर्ट को लेकर एक्शन टेकन रिपोर्ट के लिए भी कोई दबाव नहीं बनाया। यह शर्मनाक कार्रवाई इसलिए की गई ताकि दोषियों को बचाया जा सके।

चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि उन्हें मारे गए बच्चों के परिवारों के साथ पूरी सहानुभूति है। कोंग्रस ने एक याचिका इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल की है और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी इस मामले को फिर से खोलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में ‘अब होगा न्याय”। उन्होंने कहा कि बेहबल कला और कोटकपूरा की बेअदबी और पुलिस फायरिंग की घटनाओ की जिम्मेबारी से अकाली और बादल भाग नहीं सकते। उन्हें इन घटनाओ के नतीजे भुगतने ही होंगे।

शाहकोट के सिधायक लादी ने शाहकोट हल्के में आज कई राजनीतिक रैलियों को संबोधित करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार की विकास उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग एनडीए सरकार से तंग आ चुके हैं और 19 मई को वोटिंग मशीनों कांग्रेस के चुनाव चिन्ह ‘हाथ’ का बटन दबा कर एनडीए को बाहर का रास्ता दिखा देंगे।

चौधरी संतोख सिंह ने दावा किया कि सत्ता में आने पर कांग्रेस पार्टी किसानो की तकलीफों को दूर करने के लिए अलग किसान बजट संसद में लेकर आएगी और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए और अधिक फंड उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने आलू उत्पादकों की आर्थिक संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारी फसल होने के कारण कई बार आलू उत्पादकों को उनकी फसल की लागत कीमत भी नहीं मिलती इसके लिए कांग्रेस इस बात का प्रयास करेगी कि आलू की फसल को कृषि निर्यात नीति में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि आलू उत्पादकों की समस्याओं को उन्होंने कृषि मंत्रालय के साथ उठाया था और फसल को कृषि निर्यात नीति में शामिल करने की बात कही थी, परन्तु मोदी सरकार ने उनकी इस बात को अस्वीकार कर दिया था।