इंदौर: मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में अफगानिस्तानी मूल की मानी जाने वाली आम प्रजाति नूरजहां के गिने-चुने पेड़ ही पाये जाते। लेकिन अपने भारी-भरकम फलों के चलते “आमों की मलिका” के रूप में मशहूर “नूरजहां” के फलों की सीमित संख्या के कारण शौकीन लोग इसकी तब ही बुकिंग कर लेते हैं, जब ये डाल पर लटककर पक रहे होते हैं। मांग बढ़ने पर इसके केवल एक फल की कीमत 500 रुपये तक भी पहुंच जाती है।
आम की इस दुर्लभ किस्म के मुरीदों के लिये अच्छी खबर है कि मौजूदा मौसम में इसके पेड़ों पर फलों की बहार आ गयी है। अफगानिस्तानी मूल की मानी जाने वाली आम प्रजाति नूरजहां के गिने-चुने पेड़ मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ही पाये जाते हैं. नूरजहां के फल तकरीबन एक फुट तक लम्बे हो सकते हैं। इनकी गुठली का वजन ही 150 से 200 ग्राम के बीच होता है।
इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा में इस प्रजाति की खेती के विशेषज्ञ इशाक मंसूरी ने बताया, “इस बार मौसम की मेहरबानी से नूरजहां के पेड़ों पर खूब फल लगे हैं. लिहाजा हम इसकी अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे हैं.” उन्होंने बताया कि नूरजहां के पेड़ों पर जनवरी से बौर आने शुरू हुए थे और इसके फल जून के आखिर तक पककर तैयार होंगे। इस बार इसके एक फल का औसत वजन 2.5 किलोग्राम के आस-पास रहने का अनुमान है। बहरहाल, यह बात चौंकाने वाली है कि किसी जमाने में नूरजहां के फल का औसत वजन 3.5 से 3.75 किलोग्राम के बीच होता था। जानकारों के मुताबिक पिछले एक दशक के दौरान मॉनसूनी बारिश में देरी, अल्पवर्षा, अतिवर्षा और आबो-हवा के अन्य उतार-चढ़ावों के कारण नूरजहां के फलों का वजन लगातार घटता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण आम की इस दुर्लभ किस्म के वजूद पर संकट भी मंडरा रहा है।