– शंकराचार्य स्वामी नारायणनंद तीर्थ जी महाराज ने दिखाए शंकराचार्य मनोनीत किये जाने के सबूत
जालंधर: क्या श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणनंद तीर्थ जी महाराज को बदनाम करने की बड़ीं साजिश व षडयंत्र किया जा रहा है? लग तो कुछ ऐसा ही रहा है कि क्योंकि उनकी उपाधियों को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे है। इन बातों का श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणनंद तीर्थ जी महाराज ने जवाब दिया है, साथ ही उन्होंने शंकराचार्य मनोनीत किये जाने के सबूत पेश किए है।
उनकी उपाधी को लेकर उठाए जा रहे संदेह का जवाब देते हुए स्वामी नारायणनंद तीर्थ जी महाराज ने बताया कि 28 अगस्त 1996 में काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य राम यतन शुक्ल ने खुद आ कर उन्हें प्रमाण पत्र जारी किया था। हमारे पूज्य गुरुदेव कृपात्रि जी महाराज के प्रधान शिष्य एवं अखिल भारतीय संत समाज के मुख्य संरक्षक सदानंद सरस्वती वेदांती जी ने खुद मौके पर अपने मुखारविंद से मुझे श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य की उपाधि से मनोनीत किया था।
इसकी स्वामी नारायणनंद तीर्थ जी महाराज ने एक कॉपी भी जारी की है। वहीं उन्होंने अखबारों में छप रही खबरों का भी खडंन किया। उन्होंने कहा इससे समाज पर बुरा असर पड़ेगा और संत महापुरुषों पर ऐसी बातें करने से धर्म एवं हमारा हिंदुत्व सदैव पीछे रहेगा।