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सबको हंसाने वाले कादर खान का 81 वर्ष की उम्र में हुआ निधन,कनाडा में होगा अंतिम संस्कार, इस वजह से अंतिम दिनों में टूट चुके थे कादर खान, जाने कादर खान के ये खास डायलॉग ,

साल 2019 की शुरुआत में ही एक बुरी खबर आ गई है। बॉलीवुड एक्टर कादर खान का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने कनाडा के अस्पताल में अंतिम सांस ली।

कादर लंबे समय से सांस की समस्या से जूझ रहे थे। उनके दिमाग ने भी काम करना बंद कर दिया था। उन्हें रेगुलर वेंटीलेटर से हटाकर बाईपैप वेंटीलेटर पर रखा गया था। कादर प्रोगेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी डिसऑर्डर नाम की बीमारी से जूझ रहे थे। इस बीमारी की वजह से कादर का दिमाग बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। वहीं उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। कादर ने करीब 300 फिल्मों में काम किया। 

कुछ समय पहले डायरेक्टर फौजिया अर्शी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि कादर खान बहुत बीमार रहते हैं, लेकिन उनकी फैमिली उनका बिलकुल भी ख्याल नहीं रखती।
फौजिया ने बताया कि कादर खान को लगता था कि लोग उन्हें पूरी तरह से भूल चुके हैं। उन्हें कोई भी फोन नहीं करता और ना ही उनका हाल-चाल जानने की कोशिश करता। सिर्फ अमिताभ बच्चन ही उन्हें कॉल करते थे। कादर खान को इस बात का बहुत दुख रहा कि उन्होंने इंडस्ट्री के लिए इतना कुछ किया लेकिन आज तक उन्हें पद्दमश्री जैसे सम्मान का हकदार नहीं समझा गया

कादर खान का बचपन बड़ी ही गरीबी में बीता। उनके पास पहनने के लिए चप्पल तक नहीं होते थे। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आकर बस गया था। कादर खान के दो भाई थे जिनका बचपन में ही निधन हो गया था। कादर खान के जन्म के समय उनकी मां मुंबई आ गई थीं। कादर एक इंजीनियरिंग छात्र थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद वो सिद्दिकी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हो गए।

कादर खान को अभिनय करना अच्छा लगता है। वो कॉलेज के समय में अभिनय में भाग लिया करते थे। एक बार दिलीप कुमार ने उनका अभिनय देखा और उन्हें बहुत अच्छा लगा। इसके बाद दिलीप कुमार ने कादर खान से अपनी फिल्मों में काम करने के लिए बोला। कादर खान की पहली फिल्म ‘दाग’ थी। इस फिल्म में कादर खान वकील के रूप में नजर आए थे।

 

1- फ‍िल्‍म : मुक़द्दर का सिकंदर – 1978
फ‍िल्‍म मुक़द्दर का सिकंदर में फ़कीर बाबा बने कादर ख़ान ज़िंदगी का मर्म अमिताभ बच्‍चन को समझाते हैं। इस फ‍िल्‍म में हीरो अमिताभ थे। 1970 के दशक में यह एक सुपर हिट फ‍िल्‍म थी। इसमें कादर का यह संवाद काफी हिट हुआ था। ‘सुख तो बेवफ़ा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे क़दमोंं में होगी और तू मुक़द्दर का बादशाह होगा।’

2- फ‍िल्‍म :  कुली – 1983
इस सुपर हिट फ‍िल्‍म के अभिनेता भी अमिताभ बच्‍चन थे। इस फ‍िल्‍म के कई संवाद कादर खान ने ही लिखा है। उन संवाद ने अमिताभ को एक नई ऊंचाई दी। इसके चलते अमिताभ हिट हुए। – ‘बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है ‘इक़बाल’।’

3- फ‍िल्‍म : हिम्मतवाला- 1983
इस फ‍िल्‍म में कादर खान की कॉमेडि ने उन्‍हें सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के रूप में स्‍थापित किया था। फिल्म में अमजद ख़ान के हंसोड़ मुंशी का किरदार निभाने वाले क़ादर को सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का फ़िल्मफ़ेयर मिला था। इस फिल्म का एक हिट संवाद- ‘मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं… मुझे लगा, मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है।’

4- फ‍िल्‍म : मिस्टर नटवरलाल- 1979
मिस्‍टर नटवरलाल अमिताभ की सुपर हिट्स फ‍िल्‍मों में से एक थी। इस फ‍िल्‍म में अमिताभ भगवान से बात करते हुए कहते हैं कि – ‘आप हैं किस मर्ज़ की दवा, घर में बैठे रहते हैं, ये शेर मारना मेरा काम है ? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारूं मैं शेर क्यों मारूं, मैं तो खिसक रहा हूं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो।’ यह संवाद काफी हिट हुआ था। इसे कादन खान ने लिखा था।

5- फ‍िल्‍म : सत्ते पे सत्ता- 1982
1980 के दशक में यह एक सुपर हिट फ‍िल्‍म थी। इस फ‍िल्‍म में अमिताभ के अभिनय को खुब सराहा गया था। इस फ‍िल्‍म में शराब पीने वाले सीन को यूट्यूब पर काफ़ी हिट्स मिले थे। इस संवाद को – ‘दारू पीता नहीं है अपुन, क्योंकि मालूम है दारू पीने से लीवर ख़राब हो जाता है, लीवर- कादर ही ने लिखा था।’

6- फ‍िल्‍म : अग्निपथ- 1990
1990 के दशक में अग्निपथ एक सुपर हिट फ‍िल्‍म थी। बेहतरीन किरदार के लिए अमिताभ के राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इसमें सबसे बड़ा बेहतरीन संवादों का भी था। इन संवादों को क़ादर ने ही लिखा था।- ‘विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है। ‘

7- फ‍िल्‍म : अंगार – 1992
अपने दशक की यह एक हिट फ‍िल्‍म थी। इस फ‍िल्‍म में नाना पाटेकर और जैकी श्रॉफ़ थे। इस फ़िल्म के डायलॉग के लिए क़ादर ख़ान को सर्वश्रेष्ठ संवाद का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्‍का मिला था। इसका एक संवाद है- ‘ऐसे तोहफ़े (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर। ‘