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मोदी के खास मंत्री गिरिराज सिंह का बड़ा बयान , बोले – राम मंंदिर तो छोड़िए, देश में राम का नाम लेना भी मुश्किल हो जाएगा

 

 

2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भी सियासत तेज है। राम मंदिर को लेकर बीजेपी के नेताओं की तरफ से लगातार बयानबाजी जारी है। अब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बयान दिया है। गिरिराज ने कहा कि राम मंदिर तो छोड़िए…देश में राम का नाम लेना भी मुश्किल हो जाएगा।

गिरिराज सिंह ने राम मंदिर के मुद्दे पर ट्वीट कर यह आशंका जाहिर की। अपने ट्वीट में गिरिराज ने लिखा, ‘एक बाबर के आने से 100 करोड़ हिन्दुओं को हिंदुस्तान में राम मंदिर के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। कल जनसंख्या वृद्धि होने के कारण राम मंदिर को तो छोड़िए राम का नाम लेना भी हिंदुस्तान में मुश्किल हो जाएगा।’

राष्ट्र निर्माण संस्था के प्रमुख तथा सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी ने “जनसंख्या नियंत्रण कानून” की मांग के लिए 3 जनवरी को जंतर-मंतर पर “जनसंसद” आयोजित की. इस जनसंसद में केन्द्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह, भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, राज्यसभा सांसद अमर सिंह, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, सांसद राजेन्द्र अग्रवाल सहित तमाम जनप्रतिनिधि शामिल हुए. जनसंसद के दौरान श्री सुरेश चव्हाणके जी ने “जनसंख्या नियंत्रण कानून” का प्रस्ताव सामने रखा, जिसके लिए वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. जनसंसद में सर्वसम्मति से जनसंख्या नियंत्रण कानून के इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया. प्रस्ताव के पास हो जाने के बाद श्री सुरेश चव्हाणके जी ने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द देश की संसद से भी ये कानून पास होगा.

श्री सुरेश चव्हाणके जी द्वारा इस ऐतिहासिक जनसंसद में रखे गए “जनसंख्या नियंत्रण कानून” के प्रस्ताव का प्रारूप–

हिंदुस्थान की संसद बहुमत के साथ जनसंख्या नीति पर प्रस्ताव पारित करे, जिसके आधार पर कठोर व प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाया जाए. इस कानून का आदेश और आशय स्पष्ट हो कि – “किसी भी व्यक्ति को 2 से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर रोक हो.  वह व्यक्ति किसी भी धर्म, मज़हब को मानने वाला, किसी भी धर्म को ना मानने वाला या वो किसी भी लिंग का क्यों न हो. साथ ही हिंदुस्तान की नागरिकता धारण करने वाला, हिन्दुस्थानी भूमि पर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से रहने वाला या हिन्दुस्थान की स्थाई / अस्थाई यात्रा पर आये हुए विदेशी व्यक्ति को भी इस क़ानून का अक्षरशः पालन करना अनिवार्य होगा।
उल्लंघन पर कार्यवाही-
अगर जनसँख्या नियंत्रण के लिए बने इस क़ानून का कोई भी उल्लंघन करता है तो तीसरा बच्चा पैदा होते ही उस पर कड़ी कार्यवाही हो.. इस आपेक्षित कार्यवाही का स्वरूप कुछ ऐसा हो –
1- जन्म लेने वाले बच्चे को भारत की नागरिकता किसी भी रूप में नहीं मिलनी चाहिए. जिस से वो भारत में मतदान या किसी अन्य सरकारी सुविधा से वंचित रहे.
2- तीसरे बच्चे को जन्म देने वाले परिवार की भी सभी सरकारी सुविधाएँ ख़त्म की जाए. उसे सरकारी राशन,  सरकारी स्कूलों में शिक्षा, सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा के साथ – 2 सरकारी नौकरी और रेलवे व बस जैसी सरकारी परिवहन सेवा के उपयोग से भी प्रतिबंधित किया जाय.
3- क्योंकि वो परिवार जनसंख्या के विस्फोट के साथ जनसंख्या का असंतुलन भी पैदा कर रहा होगा इसलिए उसके कृत्य को असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक माना जाय. यह भी संभव हो सकता है कि ऐसा कृत्य साम्राज्यवादी मानसिकता के साथ – 2 साम्राज्यवादी साजिश का हिस्सा हो. इसलिए उस परिवार को मतदान करने व अन्य सुविधाओं से वंचित किया जाय.
4- इतने के बाद भी यदि कोई चौथा बच्चा पैदा करता है तो उस बच्चे के साथ उस पूरे परिवार का देश से आधिकारिक रूप से निष्कासन किया जाय..
कानून का क्रियान्वयन-  
1- संसद में यह क़ानून पारित होते ही उस दिन से 9 महिने 9 दिन के बाद के जन्मों पर इसे कड़ाई से लागू किया जाए.
2- इस क़ानून को यदि कोई राज्य सरकार अपने राज्य में किसी भी कारण से लागू नही कर रही हो तो ऐसे में इसे विशेषाधिकार के साथ उस राज्य में पारित पारित और लागू किया जाए.
3- इस कानून के अंतर्गत किए गए अपराध के विरुद्ध कोई भी अदालत न तो स्टे न दे पाए और न ही इसमें किसी भी स्तर से जमानत, क्षमादान आदि का कोई प्रावधान हो.
4- यह क़ानून हिंदुस्थान की अखंडता, संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अति अत्यावश्यक है, इसलिए कोई अन्य देश, NGO या कोई व्यक्ति इसके विरूद्ध अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी अपील न कर पाए.
5- यह क़ानून संविधान का कभी भी न बदलने वाला घटक बनाया जाए और भविष्य में भी कोई राजनैतिक दल, आने वाली सरकारें, प्रशासन या कोई भी अन्य इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी बदलाव न कर पाए.