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बिना सबूत पूर्व DIG डीजी वंजारा को जिस केस में 8 वर्ष जेल में रखा गया बंद उस केस में सभी 22 आरोपी CBI कोर्ट से बरी, मगर उन 8 वर्षो की भरपाई आखिर कौन करेगा?

सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख,उस की पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं।

सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा है कि षड्यंत्र के तहत तुलसीराम प्रजापति की हत्या की गई थी, यह आरोप सही नहीं है। पेश किए गए साक्ष्य और गवाह संतोषजनक नहीं।  हालांकि 210 गवाहों को पेश किया गया लेकिन संतोषजनक सबूत नहीं लाए गए

इस मामले में कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था. बरी किए गए लोगों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं. ये मामला पहले गुजरात में चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था ।

डीजी वंजारा को 8 साल जेल में बिताने पड़े थे.इशरत जहां और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में वंजारा को 2014 में जमानत मिल गई थी. 2005 के हुए कथित सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में वंजारा को 24 अप्रैल, 2007 को गिरफ्तार किया गया था 

लेकिन 8 वर्ष तक जो कष्ट उन्हें जेल में झेलने पड़े जो उन के साफ पाक दामन पर कीचड़ उछाल कर उन की छवि धूमिल की गई उस की भरपाई कौन करेगा। 

बड़ा सवाल ये है कि ये कैसा न्याय, 13 वर्षो बाद न्याय तो मिला मगर देरी से न्याय मिलना बेहद बड़ा अन्याय ही है। 8 वर्ष जेल में उन्हें जेल में रखा गया। इस अन्याय की सजा किसे दी जाएगीउन के  जीवन के वो अनमोल 8 वर्ष कौन लौटाएगा।

आप को बता दें कि गुजरात एन्टी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) के मुखिया रहे डीजी वंजारा अपने कार्यकाल के दौरान एनकाउंटर विशेषज्ञ के रूप में मशहूर रहे हैं. वंजारा को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान उनका बेहद करीबी पुलिस अधिकारी माना जाता रहा है. 1987 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर डीजी वंजारा क्राइम ब्रांच तथा पाकिस्तानी सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के आईजी भी रहे हैं