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जानिए भाई दूज के दिन तीन शुभ मुहूर्त और ये काम की 10 बातें, गलती से भी आज इस समय राहु काल में भाई को न कर दें तिलक हो जाएगी बर्बादी

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की की दूसरी तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। 9 नवंबर को 10:40 से दोपहर 12:03 बजे तक राहू काल लग रहा है इसलिए इस समय भूल कर भी तिलक न करें नही तो बहुत भारी बर्बादी हो सकती है। यह काल पूजा पाठ के लिए अशुभ माना जाता है। इसलिए पूजा और तिलक न करें।

भाई दूज मुहूर्त:
सुबह- 9:20 से 10:35 तक
दोपहर-1:20 से 3:15 तक
शाम-4:25 से 5:35 और 7:20 से रात 8:40 तक

 

1.भाईदूज के दिन भाई बहन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है।

 

2.पहला कौर बहिन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहिन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहिन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहिन मान ले। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का आश्रय यह है की यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन न करे।

3.कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह ‘यमद्वितीया’ कहलाती है। इसमें बहिन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। उस तिथि को जो बहिन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है, वह सर्वोत्तम रत्न, धन और धान्य पाता है

4. आज के दिन बहन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।
5.आज के दिन बहन भाई को तथा भाई बहन को कोई न कोई उपहार जरूर दे।

6.कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।

7.बहन के पैर छू कर आशीर्वाद जरूर लें

 8.भाई की उम्र बढ़ानी है तो करें यमराज से प्रार्थना
सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।

9.बहन जलाए चौमुखी दीपक-
बहन सायंकाल गोधूलि बेला में यमराज के नाम से चौमुखी दीया जलाकर घर के बाहर रखती है जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है। इसके पीछे दर्शन है कि भाई के प्राण की रक्षा होती है। भाई का चतुर्दिक विकास होता है। दैहिक, दैविक और भौतिक संतापों से भाई की सुरक्षा होती है।

दीपक प्रकाश देते हुए दम सभी प्रकार के तम को दूर करता है। इस प्रकार यह पर्व बहुत ही श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। भाई बहन का यह पर्व दीपों के पर्व का उपसंहार है।

10.भैया दूज कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।