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आज है -‘गोपाष्टमी’ , भाग्य बदलना चाहते हो और सौभाग्य में अपार वृद्धि करना चाहते हो तो ऐसे करें आज गौ माता का पूजन, साथ ही जाने आज क्या करें क्या न करें

हिन्दू धर्म में गौ पूजा का खास महत्व बताया जाता है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति, गाय माता की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुष्ट होकर गाय माता उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं.

आज क्या न खाए क्या करें क्या न करें

? विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
? अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास (संभोग) तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

? विष्णुपदी संक्रांति ?

➡ 16 नवम्बर 2018 शुक्रवार को (पुण्यकाल दोपहर 12:06 से शाम 06:30 तक) विष्णुपदी संक्रांति ।
?? इस में किया गया जप , ध्यान , पुण्य कर्म लाख गुना पुण्यदायी होता है । ( पद्म पुराण , सृष्टि खंड )

? गौ-पूजन से सौभाग्यवृद्धि ?

➡ 16 नवम्बर 2018 शुक्रवार को गोपाष्टमी पर्व है ।

कुंडली में अगर पितृदोष है तो भी सफेद गाय को रोटी खिलाने से वह हमेशा के लिए दूर हो जाएगा.

कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ कहते हैं | यह गौ-पूजन का विशेष पर्व हैं | इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान कराके गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है | इस दिन गायों को ग्रास आदि वस्तुएं खिलाए उनकी परिक्रमा करें और उन्हें प्रणाम करें उन की आरती उतारे फूल माला पहनाए थोड़ी दूर तक उनके पास रहे तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है | उन्हें तिलक करें उनकी चरणरज ललाट पर लगायें | इससे सौभाग्य की वृद्धी होती है

|इस मंत्र के साथ गौ माता को प्रणाम करना चाहिए।

सर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलंकृते।
मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।  

 

? गोपाष्टमी विशेष ?

गौ माता धरती की सबसे बड़ी वैद्यराज
भारतीय संस्कृति में गौमाता की सेवा सबसे उत्तम सेवा मानी गयी है, श्री कृष्णा गौ सेवा को सर्व प्रिय मानते हैं ..
शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाम की एक विशेष नाढ़ी होती है जब इस नाढ़ी पर सूर्य की किरणे पड़ती हैं तो स्वर्ण के सूक्ष्म कानो का निर्माण करती हैं , इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी में पीलापन रहता है , यही पीलापन अमृत कहलाता है और मानव शरीर में उपस्थित विष को बेअसर करता है 
गाय को सहलाने वाले के कई असाध्य रोग मिट जाते हैं क्यूंकि गाय के रोमकूपों से सतत एक विशेष ऊर्जा निकलती है 
गाय की पूछ के झाडे से बच्चों का ऊपरी हवा एवं नज़र से बचाव होता है 
गौमूत्र एवं गोझारण के फायदे तो अनंत हैं , इसके सेवन से केंसर व् मधुमय के कीटाणु नष्ट होते हैं ।

गाय के गोबर से लीपा पोता हुआ घर जहाँ सात्विक होता है वहीँ इससे बनी गौ-चन्दन जलाने से वातावरण पवित्र होता है इसीलिए गाय को पृथ्वी पर सबसे बड़ा वैद्यराज माना गया है ,सत्पुरुषो का कहना है की गाय की सेवा करने से गाय का नहीं बल्कि सेवा करने वालो का भला होता है ।
?? पूज्य बापूजी

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