नई दिल्ली : केंद्र सरकार जल्द ही एक नया कानून लेकर आ रही है, जिसके जरिये माकन मालिक और किरायेदारों दोनों की हितो की रक्षा होगी. सूत्रों के मुताबिक इस कानून का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो गया है. इस ड्राफ्ट के लिए ये आम आदमी का सुझाव माँगा गया है. ड्राफ्ट के तहत मकान मालिक किराये कि अवधि के दौरान अपनी मर्ज़ी से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे.
देखा जाये तो देशभर में किरायेदार और मकानमालिक के बिच विवाद कि समस्या बढती जा रही है. इन विवादों में कमी लाने के लिए सरकार कानून लेकर आ रही है, इस बात कि घोषणा खुद सीतारमण ने 5 जुलाई को अपने बजट में की थी.
किरायेदार के हित के लिए रखी जाएंगी ये बातें
इस ड्राफ्ट में किरायेदारों के लिए कई हितों को सुरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, अब कोई भी किरायेदार घर लेने पर दो महीने से ज्यादा कि सिक्यूरिटी एडवांस के तौर पर नहीं देगा. इसके अलावा किराये के अवधी के बीच मकान मालिक किराया नहीं बढ़ा सकेंगे. मकान मालिकों को किराये में किसी तरह का बदलाव करने के लिए तीन महीने पहले नोटिस देना होगा. किसी भी तरह विवाद होने पर मकान मालिक किरायेदार कि पानी,बिजली और जरुरी सुविधाएँ बंद नहीं करेगा.
देश के कई शहरों में मकान मालिक घर किराये पर देने के पहले 11 महीने कि एडवांस सिक्यूरिटी देने को कहते है जिससे उनके आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है.
मकान मालिक की भी हित कि बात कही गई..
इस ड्राफ्ट में किरायेदारों के अलावा मकान मालिकों के लिए भी कई हित शामिल किए गए हैं. ड्राफ्ट में कहा गया है कि यदि कोई किराएदार तय समय से ज्यादा मकान में रहता है तो उसे पहले दो महीने के लिए दोगुना किराया देना होगा. यदि वह दो महीने से ज्यादा समय तक रहता है तो उसे चार गुना किराया भरना होगा.
किरायेदार द्वारा घर खाली करने के बाद मकान मालिक अपनी लेनदारी काटने के बाद सिक्युरिटी के पैसो को वापस कर देगा.
किरायेदार द्वारा घर खाली करने के बाद मकान मालिक अपनी लेनदारी काटने के बाद सिक्युरिटी के पैसो को वापस कर देगा.
ड्राफ्ट कानून में रेरा जैसी अथॉरिटी बनाने की भी सिफारिश की गई है. यह किराया अथॉरिटी विवादों का निपटारा करेगी. किरायेदार और मकान मालिक दोनों को किरायानामा (रेंट एग्रीमेंट) बनने के बाद इसको अथॉरिटी में जमा करना होगा. अग्रीमेंट में मासिक किराया, अवधि, मकान में आंशिक रिपेयर, बिलों का भुगतान (बिजली, गैस, मेंटिनेंस आदि) जैसे का जिक्र भी होगा. अगर विवाद होने पर कोई भी पक्ष अथॉरिटी के पास जा सकता है. किराएदार अगर लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता है तो मकान मालिक रेंट अथॉरिटी की शरण ले सकता है